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फारुक अब्दुल्लाह ने कश्मीरी पंडितों से माफी मांगी

८ जनवरी २०११

केंद्रीय मंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारुक अब्दुल्लाह ने कश्मीरी पंडितों से माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि पंडितों का घाटी से विस्थापन राज्य के इतिहास का काला अध्याय है और वह मुसलमान होने के नाते माफी मांगते हैं.

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तस्वीर: DW

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्लाह दिल्ली में एक किताब के लोकार्पण समारोह में आए. लेकिन यहां वह कश्मीरी पंडितों के बारे में बोले और काफी भावुक हो गए. उन्होंने कहा, "हमें जिन सबसे बड़ी त्रासदियों से गुजरना पड़ा, उनमें से एक जातीय नरसंहार है जो जम्मू कश्मीर की जमीन पर हुआ."

Indien Farooq Abdullah
तस्वीर: UNI

कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन को राज्य के इतिहास का काला अध्याय बताते हुए अब्दुल्लाह ने कहा, "मुझे लगता है कि यह घाटी के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से है और हमेशा रहेगा. हम अगर सालों तक खुदा से इसके लिए माफी मांगते रहें, तो भी मुझे यकीन नहीं कि हमें माफी मिलेगी."

1990 के दशक में हजारों की तादाद में कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों के डर से घाटी छोड़कर जाना पड़ा. केंद्र में नीवीनीकृत ऊर्जा मंत्रालय संभाल रहे फारुक अब्दुल्लाह ने कहा, "लोगों को रातोंरात अपना घरबार छोड़कर जाना पड़ा. उन्हें नहीं पता था कि उनका भविष्य क्या है. आज भी नौजवान पंडितों के दिलों में उसका दर्द है."

अब्दुल्लाह ने कहा कि यह सिर्फ मानवीय त्रासदी नहीं, बल्कि इससे सांस्कृति पहचान को भी नुकसान पहुंचा. उन्होंने कहा, "कश्मीर में लोग जानते ही नहीं हैं कि कश्मीरी पंडित कैसे दिखते हैं, उनके खाली मंदिरों का क्या मतलब है. वहां के लोगों के लिए वे दूसरे ग्रह के वासी हो गए हैं. पता नहीं इस जन्म में मैं इन हालात को बदलता देख पाऊंगा या नहीं."

जज्बाती हो गए अब्दुल्लाह ने कहा, "हर आदमी अपनी जमीन पर मरना चाहता है. वह चाहता कि आखिरी रस्म उसी की जमीन पर हो. मैं 12 साल तक इंग्लैंड में रहा. मैंने एक अंग्रेज महिला से शादी की. लेकिन मैं कभी अंग्रेज नहीं बन पाया. मेरे कश्मीर की वे पतली पतली सी गलियां हमेशा इंग्लैंड की खूबसूरत सड़कों से ज्यादा अहम रहीं."

फारुक अब्दुल्लाह ने ऊंचे पदों पर पहुंचे कश्मीरी पंडितों से अपील की कि रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे अपने भाइयों की देखभाल करें. उन्होंने कहा कि यह वातावरण नौजवान दिलों में नफरत पैदा करता है और यह हमारे भविष्य के लिए बड़ा खतरा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए जमाल

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