फाटा: दुनिया की नाक में दम करने वाला इलाका
पाकिस्तान के कबाइली इलाके लंबे समय तक आतंकवाद का गढ़ रहे हैं. 2018 में इस इलाके को पाकिस्तान के खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत में शामिल किया गया. जानिए क्यों खास है फाटा कहा जाने वाला यह इलाका.
सबसे खतरनाक जगह
पाकिस्तान के कबाइली इलाकों को कभी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दुनिया का सबसे खतरनाक इलाका बताया था. इस पहाड़ी इलाके को लंबे समय से तालिबान और अल कायदा लड़ाकों की सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है.
केपीके का हिस्सा
अब इस अर्धस्वायत्त इलाके को पाकिस्तान के खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत में शामिल किया जा रहा है. यानी अब तक कबाइली नियम कानूनों से चलने वाले इस इलाके पर भी अब पाकिस्तान का प्रशासन और न्याय व्यवस्था के नियम लागू होंगे.
सात जिले
अफगानिस्तान की सीमा पर मौजूद पाकिस्तान के कबाइली इलाके में सात जिले हैं जिन्हें सात एजेंसियां कहा जाता है. संघीय प्रशासित इस कबाइली इलाके को अंग्रेजी में फेडरली एडमिनिटर्ड ट्राइबल एरिया (FATA) कहा जाता है.
गुलामी मंजूर नहीं
फाटा की आबादी लगभग पचास लाख है जिसमें से सबसे ज्यादा पख्तून लोग शामिल हैं. ब्रिटिश राज में इस इलाके को फाटा नाम दिया गया था. यहां रहने वाले पठान लड़ाकों ने खुद को गुलाम बनाने की कोशिशों का डटकर मुकाबला किया था.
सस्ती बंदूकें
अभी तक यह इलाका पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक बफर जोन की तरह रहा है. यह इलाका सस्ती बंदूकों की मंडी के तौर पर बदनाम रहा है. अफीम के साथ साथ यहां तस्करी का सामान खुले आम बिकता है.
कबीलों का राज
ब्रिटिश अधिकारियों ने 1901 में इस इलाके के लिए फ्रंटियर क्राइम्स रेग्युलेशन बनाया था, जिसके तहत राजनीति तौर पर नियुक्त होने वाले लोगों को यहां शासन का अधिकार है. इन लोगों के पास एक व्यक्ति के जुर्म की सजा पूरे कबीले को देने तक का अधिकार है.
स्वायत्तता का लालच
1947 में पाकिस्तान बनने के बाद भी फाटा में वैसे ही शासन चलता रहा जैसे अंग्रेजी दौर में चलता था. पाकिस्तान की सरकार ने इलाके के लोगों को स्वायत्ता लालच दिया ताकि वे पाकिस्तान में शामिल हो जाएं.
विकास नहीं हुआ
इलाके को स्वायत्ता की भारी कीमत चुकानी पड़ी. विकास के लिए मिलने वाली रकम दशकों तक यहां पहुंची ही नहीं. इसका नतीजा यह हुआ कि कबाइली इलाके और बाकी पाकिस्तान में जमीन आसमान का अंतर नजर आता है.
उग्रवाद की उपजाऊ जमीन
वंचित लोगों में नाराजगी पैदा होना आम बात है. इसलिए यह इलाका चरमपंथ का गढ़ बन गया है जो न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पड़ोसी अफगानिस्तान के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती बन कर उभरा.
सोवियत संघ के खिलाफ
फाटा 1979 में अफगानिस्तान में रूसी हमले के दौरान सोवियत संघ के खिलाफ सीआईए समर्थित मुजाहिदीन के अभियान का अहम ठिकाना रहा है. दुनिया भर के इस्लामी लड़ाके यहां पहुंचे, जिनमें से कुछ ने बाद में अल कायदा खड़ा किया.
चरमपंथियों की पनाहगाह
11 सितंबर 2001 के हमले के बाद अमेरिका ने जब अफगानिस्तान पर हमला किया तो वहां से भाग कर तालिबान और अल कायदा के चरमपंथियों ने इसी इलाके में शरण ली. तहरीक ए तालिबान का यहीं जन्म हुआ.
ड्रोन हमले
अमेरिका ने कई बरस तक इस इलाके में ड्रोन हमलों के जरिए चरमपंथियों को निशान बनाया. हालांकि पाकिस्तान हमेशा ऐसे हमलों को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करार देता रहा.
पाकिस्तान सरकार के दावे
पाकिस्तान सरकार दावा करती है कि इस इलाके में आतंकवादी ठिकाने खत्म कर दिए गए हैं. हालांकि अमेरिका कहता है कि अफगानिस्तान में नाटो और अफगान बलों पर हमले करने वाले चरमपंथी अब भी फाटा को इस्तेमाल कर रहे हैं.