1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

फ़ेडरर ने फिर हासिल की टेनिस की गद्दी

५ जुलाई २००९

लंदन के हरे घास के मैदान पर साढ़े चार घंटे लंबी जंग जीतने के बाद रॉजर फ़ेडरर सिर्फ़ सबसे ज़्यादा ग्रैंड स्लैम जीतने वाले खिलाड़ी ही नहीं बने, बल्कि नंबर वन का ताज भी वापस पा लिया, जो पिछले साल उनसे फिसल गया था.

https://p.dw.com/p/IhhG
फिर बने नंबर वनतस्वीर: AP

और ताज हासिल करने का क्या ही ख़ूबसूरत मौक़ा रहा. दुनिया का सबसे उम्दा टेनिस ग्राउंड, विम्बलडन का सेंटर कोर्ट. रॉड लेवर से लेकर पीट सैंप्रास और ब्योन बॉर्ग जैसे टेनिस के सदाबहार दिग्गज और कभी न ख़त्म होता एक ऐतिहासिक फ़ाइनल.

ख़िताबी मुक़ाबले के बाद रॉडिक ने पीट सैंप्रास की तरफ़ हाथ उठा कर कहा, "सॉरी सैंप्रास, मैंने उसे रोकने की कोशिश तो पूरी की थी." वैसे तो रॉडिक चुहलबाज़ी कर रहे थे कि फ़ेडरर ने सैंप्रास के 14 ग्रैंड स्लैम का रिकॉर्ड तोड़ दिया, लेकिन वाक़ई वह शायद अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ फ़ॉर्म में थे और फ़ेडरर को बांध देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन शायद उनकी बदक़िस्मती ही थी कि सामने टेनिस का सबसे बड़ा खिलाड़ी था, जो ऐसे बंधनों में बंध नहीं सकता और जो अपनी टेनिस ख़ुद तय करता है.

सेंटर कोर्ट पर यूं तो रॉडिक ने शुरू में ही काम कर दिया था. पहला सेट जीतकर दूसरे सेट में हावी हो चले थे. टाई ब्रेकर में पहुंचे मुक़ाबले में कभी 6-2 से आगे चल रहे थे. ऐसा लगने लगा कि फ़ेडरर रॉडिक के तूफ़ान के आगे घुटने टेक देंगे. लेकिन फ़ेडरर ने वापसी कर डाली, सेट जीत लिया. कमेंटरी बॉक्स से एक लाईन की आवाज़ आई, "यही तो टेनिस है."

मैराथन मैच में जीत हासिल करने के बाद फ़ेडरर ने सच ही कहा कि रॉडिक में अविश्वसनीय माद्दा है और उनका सिर अब भी इस मैच से घूम रहा है. न सिर्फ़ उनका, बल्कि इस मैच का गवाह बनने वाले हर टेनिस प्रेमी को यह मुक़ाबला बड़े लंबे वक्त तक याद रहेगा. शायद हमेशा.

फ़ेडरर ने रॉडिक की जम कर तारीफ़ की. कहा, "ऐंडी, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप वापस आएंगे और एक बार यहां जीतेंगे. मुझे पूरा भरोसा है."

पहले चार सेटों में बराबरी के बाद जब पांचवां सेट शुरू हुआ, तो किसी ने सोचा भी न होगा कि मैच इस क़दर संगीन हो जाएगा. यूं तो लंबे मैच कई बार बोरिंग और उबाऊ हो जाते हैं लेकिन विम्बलडन फ़ाइनल तो जैसे हर प्वाइंट के साथ एक नई तरंग पैदा कर रहा था.

लंदन के आसमान में सूरज की किरणें मद्धिम पड़ने लगीं तो दोनों खिलाड़ियों की टेनिस में और तेज़ आ गई. फ़ाइनल सेट और कोई भी खिलाड़ी सर्विस तुड़वाने को तैयार नहीं. एक बार लगने लगा कि फ़ेडरर की सर्विस गई लेकिन जैसा कि कमेंट्री बॉक्स से बहुत पहले ही कहा जा चुका था, "यही तो टेनिस है."

एक के बाद एक.. खेल चलता रहा और सर्विस करने वाले की जीत होती रही. आख़िर वह मौक़ा भी आ गया, जब टेनिस से कहीं ज़्यादा धैर्य और तजुर्बे की परीक्षा आ गई. फ़ेडरर यहां बीस साबित हुए. रॉडिक ने बस एक ही तो ग़लती की. 30 गेम वाले सेट में बस एक ही बार तो धैर्य खोया. लेकिन यही एक मौक़ा फ़ेडरर ले उड़े. ले उड़े छठा विम्बलडन, 15वां ग्रैंड स्लैम और नंबर वन की कुर्सी.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ़

संपादनः ए कुमार