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आतंकवाद

फतवे के बाद पहला आत्मघाती हमला

१७ जनवरी २०१८

आत्मघाती हमलों के खिलाफ 1,800 मौलवियों के फतवे के 24 घंटे बाद ही पाकिस्तान में पहला खुदकुश हमला हुआ. हमलावर ने कराची पुलिस के एक अधिकारी को उड़ाने की कोशिश की.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/Rahat Dar

पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राव अनवर बाल बाल बचे. बुधवार को अज्ञात हमलावर अनवर की कार के पास पहुंचे. इसी दौरान मोटरसाइकिल पर सवार हमलावर ने खुद को उड़ा दिया. फिर बाकी हमलावरों ने अनवर की कार पर फायरिंग की. पुलिस अधिकारी ने गनमैन से जवाबी फायरिंग की, जिसमें दो हमलावर मारे गए.

पाकिस्तान की पुलिस के मुताबिक राव अनवर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं. उन्हें आतंकवादियों के अड्डों की जानकारी है. पाकिस्तानी तालिबान (तहरीक ए तालिबान) के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने हमले की जिम्मेदारी ली है. तहरीक ए तालिबान लंबे समय से पाकिस्तान की सेना और सरकार को निशाना बना रहा है.

क्या है पाकिस्तान में मुसलमान होने का मतलब?

इस आत्मघाती हमले ने सरकार की नई रणनीति पर पहला वार किया है. मंगलवार को पाकिस्तान में 1,800 से ज्यादा मौलवियों ने आत्मघाती हमलों के खिलाफ फतवा जारी किया. इस्लाम के सभी संप्रदायों की तरफ से जारी फतवे में कहा गया कि "आत्मघाती हमले हराम हैं और ये इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ हैं." इस फतवे को सरकार ने देश के सामने पेश किया.

पाकिस्तान सरकार को लगता है कि इस तरह के फतवे से देश में चरमपंथ को कम करने में मदद मिलेगी. पाकिस्तान के समाज में सुन्नी चरमपंथी काफी गहराई तक घुस चुके हैं. बीते डेढ़ दशक में चरमपंथी हिंसा में करीब 70,000 लोग मारे जा चुके हैं. फतवा पेश करते हुए पाकिस्तान के राष्ट्रपति मामनून हुसैन ने कहा, "यह फतवा उदारवादी इस्लामी समाज के लिए मजबूत आधारशिला का काम करेगा. यह फतवा हमें चरमपंथ को खत्म करने और इस्लाम के सुनहरे सिद्धांतों को अमल में लाने का रास्ता दिखा सकता है."

पाकिस्तान में पहले भी बरेलवी समुदाय ने इस तरह का फतवा जारी किया था. लेकिन वह बेसअसर हो गया. अब सारे संप्रदायों की तरफ से फतवा जारी किया गया है. लेकिन 24 घंटे बाद ही कराची में हुए आत्मघाती हमले ने दिखा दिया है कि नया फतवा कितना अससदार है. पाकिस्तान में इस वक्त करीब एक दर्जन चरमपंथी संगठन सक्रिय हैं. अल कायदा, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, सिपह ए सहाबा, लश्कर ए ओमर, तहरीक ए तालिबान, तालिबान, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट, हक्कानी नेटवर्क और जमात उल दवा इनमें से प्रमुख हैं.

ओएसजे/आईबी (एपी, डीपीए)