प्लास्टिक पर बैन से सिसल उत्पादन बढ़ा
२२ जून २०१८दक्षिणी केन्या के किबवेजी शहर के मुंगेला अब शॉपिंग बैग बनाने में सहयोग कर रहे हैं जिसकी हाल के दिनों में मांग बढ़ गई है. वे सिसल की खेती कर रहे हैं जिसमें काफी फाइबर होता है. इसके रेशे से शॉपिंग बैग बनाए जाते हैं जिसका इस्तेमाल स्थानीय दुकानदार करते हैं. पिछले साल केन्या की सरकार ने प्लास्टिक बैन का सख्त कानून बनाया जिसमें प्लास्टिक बनाने, बेचने और इस्तेमाल करने पर 4 साल की जेल या 40,000 डॉलर के जुर्माने का प्रावधान है.
हालांकि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम से जुड़े स्थानीय निदेशक जूलिएट बियाओ का कहना है कि सिसल का इस्तेमाल पर्यावरण के लिए तो ठीक है, लेकिन यह गरीब लोगों के लिए महंगा है. प्लास्टिक बैग के मुकाबले इसकी कीमत दोगुनी है. मुंगेला बताते हैं कि पहले 1 किलो बैग बेचने पर 30 केन्याई शिलिंग्स मिलती थी, लेकिन अब 1 डॉलर मिल रहा हैं. प्लास्टिक पर सिर्फ बैन लगाने से काम नहीं चलेगा
जोमो केन्याटा स्थित कृषि एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के जीवविज्ञानी रॉबर्ट गिटिरू का कहना है कि देश के बड़े सुपरमार्केट चेन जैसे नाकुमाट या फ्रांसीसी केरफोर ग्राहकों को सिसल के बने बैग दे रहे हैं जिससे लोगों में जागरुकता बढ़ रही है. किसानों को भी अब लगने लगा है कि परंपरागत खेती के अलावा सिसल के पेड़ उगाकर अच्छी कमाई की जा सकती है.
तीसरा सबसे बड़ा सिसल उत्पादक
सिसल बैग बनाने में आसान होते हैं और इस्तेमाल के बाद इन्हें फेंका जाए तो जमीन में घुल जाते हैं. ब्राजील और तंजानिया के बाद केन्या दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सिसल उत्पादक देश है. एग्रीकल्चर एंड फूड अथॉरिटी में तकनीकी अफसर डिक्सन किबाता के मुताबिक, हर साल सिसल के उत्पादन से करीब 2 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आमदनी होती है. अगर सिसल की ऐसी की मांग बढ़ती रही तो आने वाले 5 वर्षों में आमदनी 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो जाएगी.
किबाता का कहना है कि केन्या सरकार अब किसानों को सिसल की खेती करने के लिए उत्साहित कर रही है. मुंगेला जैसे कई किसान परंपरागत खेती के अलावा खेत का एक हिस्सा सिसल के लिए रखते हैं. साथ ही प्लास्टिक का कचरा भी बड़े पैमाने पर साफ किया जा रहा है. राजधानी नैरोबी में रोजाना सुबह छात्र, वॉलंटियर्स और सरकारी कर्मचारी मिलकर जलाशय साफ करते हैं. वे यहां से प्लास्टिक, पेपर और अन्य कचरे को बाहर निकालते हैं जिससे पानी का प्रदूषण कम हो सके. यहां काम करने आए योहाना गिकारा का कहना है कि देश को बचाने के लिए प्लास्टिक को खत्म करना जरूरी है.
वीसी/एमजे (रॉयटर्स)