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प्रोटीन से भरपूर आलू की नई किस्म ईजाद

२२ सितम्बर २०१०

भारतीय वैज्ञानिकों ने प्रोटीन से भरपूर आलू की एक नई प्रजाति को विकसित करने में कामयाबी पाई है. इनका दावा है कि आलू के जैविक गुणों में सुधार कर अब तक की सबसे उन्नत प्रजाति को तैयार किया गया है. जो सेहत के लिए फायदेमंद है.

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तस्वीर: BilderBox

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर प्लांट जीनोम रिसर्च के वैज्ञानिकों ने इस खोज को अंजाम दिया है. रिसर्च टीम की प्रमुख शुभ्रा चक्रवर्ती ने बताया कि आलू की इस किस्म में सामान्य आलू से 60 प्रतिशत ज्यादा प्रोटीन है. साथ ही इसमें सेहत के लिए फायदेमंद समझे जाने वाले अमीनो एसिड की मात्रा भी ज्यादा है. आमतौर पर आलू में अमीनो एसिड बहुत कम मात्रा में पाया जाता है.

विज्ञान पत्रिका "प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ सांइस" में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आलू की अन्य किस्मों के बेहतरीन गुणों से भरपूर इस किस्म को लोग हाथों हाथ लेंगे. रिपोर्ट के अनुसार इस प्रजाति में संवर्धित गुणसूत्रों वाली आलू की सबसे प्रचलित प्रजाति अमरनाथ के गुणसूत्रों को भी मिलाया गया है.

Landwirtschaft in Asien
तस्वीर: AP

डॉ. चक्रवर्ती का कहना है कि विकासशील और विकसित देशों में आलू मुख्य भोजन में शुमार है और इस खोज से काफी अधिक संख्या में लोगों को फायदा होगा. इससे आलू से बने पकवानों को स्वाद और सेहत दोनों के लिए फायदेमंद बनाया जा सकेगा. इसके अलावा वह इस खोज को जैव इंजीनियरिंग के लिए भी फायदेमंद मानती हैं. उनका कहना है कि इससे अगली पीढ़ी की उन्नत प्रजातियों को खोजने के लिए वैज्ञानिक प्रेरित होंगे.

रिपोर्ट के अनुसार दो साल तक चले इस शोध में आलू की सात किस्मों में संवर्धित गुणसूत्र वाले जीन "अमरनाथ एल्बुमिन 1" को मिलाने के बाद नई प्रजाति को तैयार किया गया है. प्रयोग में पाया गया कि इस जीन के मिश्रण से सातों किस्मों में प्रोटीन की मात्रा 35 से 60 प्रतिशत तक बढ़ गई. इसके अलावा इसकी पैदावार भी अन्य किस्मों की तुलना में प्रति हेक्टेएर 15 से 20 प्रतिशत तक ज्यादा है.

इसके उपयोग से होने वाले नुकसान के परीक्षण में भी यह प्रजाति पास हो गई. चूहों और खरगोशों पर किए गए परीक्षण में पाया गया कि इसके खाने से एलर्जी या किसी अन्य तरह का जहरीला असर नहीं हुआ है. रिपोर्ट में इस किस्म को हर लिहाज से फायदेमंद बताते हुए व्यापक पैमाने पर इसे पसंद किए जाने का विश्वास व्यक्त किया गया है. हालांकि अभी इसे उपयोग के लिए बाजार में उतारे जाने से पहले जैव तकनीकी विभाग से हरी झंडी मिलना बाकी है.

रिपोर्टः पीटीआई/निर्मल

संपादनः एस गौड़

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