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पोखरण पूरी तरह कामयाब परीक्षणः कलाम

२७ अगस्त २००९

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन कहे जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है कि 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण पूरी तरह सफल थे और नतीजे उम्मीद के अनुसार थे. एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने परीक्षणों की सफलता पर सवाल उठाया है.

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पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने पोखरण परीक्षणों को सफल बतायातस्वीर: AP

पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने कहा, "परीक्षणों के बाद विस्तृत समीक्षा हुई. यह समीक्षा दो प्रायोगिक नतीजों पर आधारित थी. पहला परीक्षण स्थल के आसपास का भूकंपीय ग्राफ़ को मापा गया और दूसरा परीक्षण के बाद वहां की रेडियोधर्मिता भी मापी गई. इस समीक्षा से निष्कर्ष निकला कि परीक्षण का नतीजा उम्मीद के मुताबिक़ रहा."

ताज़ा पोखरण विवाद तब शुरू हुआ जब वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक के संथानम ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि मई 1998 में पोखरण में किया गया ताप नाभिकीय परीक्षण असफल था. संतानम रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से जुड़े रहे हैं और पोखरण परीक्षण स्थल को उन्हीं की देखरेख में तैयार किया गया था. रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार एपीजे अब्दुल कलाम इस पूरे परीक्षण के इंचार्ज थे और संतानम वरिष्ठता क्रम में दूसरे स्थान पर थे.

भारत ने 11 और 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण रेंज में पांच परमाणु परीक्षण किए. इसमें 45 किलोटन वज़नी थर्मो न्यूक्लियर डिवाइस भी शामिल था. के संथानम का कहना है ताप नाभिकीय परीक्षण से उत्पन्न शक्ति आशा से कम थी. 1998 में ब्रजेश मिश्र राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे. उन्होंने संथानम के दावे का खंडन किया है और कहा है कि कलाम स्वयं पोखरण में थे और उन्होंने सरकार को बताया था कि 45 किलोटन ऊर्जा पैदा हुई. नौसेनाध्यक्ष एडमिरल सुरेश मेहता का कहना है कि हम तो अपने वैज्ञानिकों की बात ही मानेंगे और उन्होंने हमें बताया है कि हमारे पास पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता है.

लेकिन इसके साथ ही यह भी सही है कि पोखरण परीक्षणों के बाद अमेरिका और ब्रिटेन के कई प्रतिष्ठित परमाणु वैज्ञानिकों ने भारत के दावे पर संदेह व्यक्त किया था और कहा था तापनाभिकीय परीक्षण से उत्पन्न ऊर्जा 20 किलोटन से अधिक नहीं लगती. तापनाभिकीय परीक्षण का उद्देश्य हाइड्रोजन बम बनाना होता है. के. संथानम ने कहा है कि विश्व में कोई भी देश पहली बार में ही सफल तापनाभिकीय परीक्षण नहीं कर सका है. संथानम का यह भी कहना है कि क्योंकि पोखरण परीक्षण पूरी तरह सफल नहीं हुआ इसलिए भारत को दो-तीन परीक्षण और करने की ज़रुरत है. संथानम के इस बयान का सीधा अर्थ है कि भारत को समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर करने की नहीं सोचनी चाहिए.

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी करके इस आशंका को निर्मूल बताया है कि भारत के पास पर्याप्त न्यूनतम परमाणु प्रतिरोधक क्षमता नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/कुलदीप कुमार, नई दिल्ली

संपादनः ए कुमार