पेरिस समझौते से हटे ट्रंप, दुनिया भर में निंदा
२ जून २०१७अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गुरुवार को घोषणा की कि अंतरराष्ट्रीय निंदा के बावजूद अमेरिका पेरिस समझौते से पीछे हट रहा है. उन्होंने व्हाइट हाउस में कहा, "अमेरिका और उसके लोगों की रक्षा करने की मेरी जिम्मेदारी को पूरा करते हुए, अमेरिका पेरिस समझौते से अलग होगा." उन्होंने कहा, "फिलहाल अमेरिका गैर बाध्यकारी पेरिस समझौते और इस समझौते की वजह से हम पर लादे गए क्रूर वित्तीय और आर्थिक बोझ को लागू करने के सारे कदमों पर रोक लगा रहा है."
दुनिया के लगभग 200 देशों ने 2015 में पेरिस में जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले अमेरिका और चीन भी इसमें शामिल थे. यह समझौता दुनिया भर के तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस पर रोकने की बात करता है.
ट्रंप ने ग्रीन क्लाइमेट फंड को खत्म करने का भी एलान किया जिससे उनके मुताबिक अमेरिका पर बहुत ज्यादा बोझ पड़ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह फिर से ऐसे जलवायु समझौते पर बात करने को तैयार हैं जो अमेरिका के लिए ज्यादा फायदेमंद हो.
अमेरिका के फैसले की जहां दुनिया भर में निंदा हो रही है, वहीं यूरोपीय संघ, भारत और चीन पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे पेरिस समझौते पर कायम रहेंगे. फ्रांस, जर्मनी और इटली ने एक साझा बयान जारी करते हुए कहा है कि पेरिस समझौते पर फिर से बात नहीं हो सकती. तीनों देशों के नेताओं ने एक साझा बयान में कहा, "हम मानते हैं कि 2015 के पेरिस समझौते के कारण जो प्रगति हासिल हुई है, उसे पलटा नहीं जा सकता और हमारा पक्का विश्वास है कि पेरिस समझौते पर फिर से बात नहीं हो सकती, क्योंकि यह हमारे ग्रह, समाजों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक अहम उपाय है."
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने ट्रंप के "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" नारे का उपहास करते हुए ट्वीट किया, "मेक अवर प्लानेट ग्रेट अगेन". इसके साथ ही उन्होंने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए अंग्रेजी में अपील पोस्ट की कि वे अमेरिका से बाहर फ्रांस में आकर अपना काम करें.
यूरोपीय संघ के सर्वोच्च जलवायु परिवर्तन अधिकारियों ने पेरिस समझौते से अमेरिका के हटने को विश्व समुदाय के लिए "काला दिन" बताया है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की तरफ से उनके प्रवक्ता स्टेफेन जाइबर्ट ने ट्रंप के फैसले पर निराशा जताई है. उन्होंने ट्वीट किया, "अब हम अपने ग्रह को बचाने के लिए वैश्विक जलवायु नीतियों पर और ज्यादा काम करेंगे."
एके/एमजे (एएफपी, एपी)