पुरानी गेंद से प्रदर्शन पर असर: पठान
२३ दिसम्बर २००९हरफ़नमौला खिलाड़ी इरफ़ान पठान अपने औसत प्रदर्शन के लिए अब कई और बातों के साथ ख़ुद को भी ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. डेढ़ साल से टेस्ट टीम और क़रीब साल भर से वनडे टीम से बाहर बैठे पठान का कहना है, ''मैं इसकी शिकायत नहीं कर रहा हूं कि मुझे नई बॉल दी जानी चाहिए थी लेकिन हां, अगर आपको नई गेंद नहीं मिलती तो आप बहुत ज़्यादा स्विंग नहीं करा सकते.''
पठान के मुताबिक गेंदबाज़ी में पहले बदलाव के बाद अगर गेंद मिलती है तो विकेट लेने मुश्किल होते हैं और रन भी खाने पड़ते हैं. मंगलवार को उन्होंने कहा, ''स्विंग के मामले में मुझे नहीं लगता कि मेरा नेचुरल टैलेंट ख़त्म हो जाएगा.''
इस दौरान इरफ़ान ने अपनी कमज़ोरियों का ज़िक्र भी खुल कर किया. उन्होंने कहा, ''अगर आप अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं तो आप टीम से बाहर हो जाते हैं. लोगों को लगता है कि उन्हें और मौक़े मिलने चाहिए थे. लेकिन अगर आप टीम के उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन करते हैं तो बाहर नहीं होते हैं.''
सन 2003 में 19 साल की उम्र में पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट खेलने वाले पठान को शुरूआत में स्विंग का सौदागर कहा जाता था. रिकी पोंटिंग और मोहम्मद युसूफ़ जैसे बल्लेबाज़ उनके सामने हमेशा लड़खड़ा जाते थे. पाकिस्तान के ख़िलाफ़ उन्होंने टेस्ट हैट्रिक भी ली. लेकिन वक्त बीतने के साथ ही उनका जादू फ़ीका पड़ता गया. बाएं हाथ के इस तेज़ गेंदबाज़ को टीम इंडिया के तत्कालीन कोच ग्रैग चैपल ने संपूर्ण बल्लेबाज़ बनाकर ही दम लिया और पठान गेंदबाज़ी में असरहीन होते चले गए.
इसके बाद पठान न तो बल्लेबाज़ों में गिने गए और न ही गेंदबाज़ों में. अप्रैल 2008 में आख़िर वो मौक़ा भी आया कि इरफ़ान टेस्ट टीम से बाहर हो गए. इसी साल फ़रवरी के बाद उन्हें वनडे टीम से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
अब मौजूदा हालात पर 25 साल के पठान कहते हैं कि उनकी चोटों का दौर अब बीत चुका है. उनके मुताबिक टीम में वापसी के लिए ज़बरदस्त मेहनत जारी है. इरफ़ान कहते हैं, ''मैं वापसी के लिए पूरी तैयारी कर रहा हूं. यह सत्र मेरे लिए अच्छा रहा है. घरेलू मुक़ाबलों में मैंने पांच मैचों में 22 विकेट लिए और क़रीब 400 रन भी बनाए. अब फ़ैसला चयनकर्ताओं को करना है.''
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह
संपादन: महेश झा