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"पाकिस्तान हमेशा युद्ध नहीं, बातचीत के हक़ में"

११ फ़रवरी २०१०

पाकिस्तान ने कहा है कि वह हमेशा से ही युद्ध की बजाय बातचीत के हक़ में रहा है, लेकिन भारत से "ख़तरे का अहसास" भी हमेशा होता रहा जिसके कारण सभी लंबित मुद्दों को बातचीत के ज़रिए सुलझाना बेहद ज़रूरी है.

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भारत की पहल का किया स्वागतः गिलानीतस्वीर: Abdul Sabooh

प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने पाकिस्तान के जियो टीवी के साथ बातचीत में कहा, "जब हम कहते हैं कि लड़ाई नहीं होगी तो यह एक इरादा होता है. लेकिन इरादे कभी भी बदल सकते हैं. (भारत से) ख़तरा रहा है, इसलिए हमें बातचीत की ज़रूरत है." गिलानी राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी और सेना प्रमुख जनरल अश्फ़ाक़ परवेज़ कियानी की तरफ़ से दिए गए विरोधाभासी बयानों के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे.

हाल ही में ज़रदारी ने कहा कि भारत से कोई ख़तरा नहीं है जबकि कियानी के मुताबिक़ पाकिस्तानी सेना "भारत केंद्रित" है. गिलानी ने कहा कि दोनों देशों की सेनाएं "स्वाभाविक रूप से" एक दूसरे से निपटने के लिए ही ख़ुद को तैयार करती रही हैं.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने बातचीत बहाल करने के भारत के क़दम का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा से ही युद्ध की बजाय बातचीत को प्राथमिकता देता रहा है. बातचीत पर पाकिस्तान के रुख़ को दोहराते हुए उन्होंने कहा, "राजनीतिज्ञ पुल बनाते हैं, दीवारें नहीं."

प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी राष्ट्रीय कमांडर अथॉरिटी के भी प्रमुख हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान परमाणु हथियारों को पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति पर चलेगा, तो उन्होंने, "मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता." गिलानी के मुताबिक़ पाकिस्तान एक ज़िम्मेदार देश है और वह न्यूनतम प्रतिरोध क्षमता वाली नीति पर अमल करता रहेगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एम गोपालकृष्णन