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पाकिस्तान में रेड क्रॉस बंद होगा

२९ अगस्त २०१२

तालिबान और आतंकवाद पर लगाम न लगा पाने की कीमत पाकिस्तान को चुकानी पड़ रही है. कई सालों से पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में काम कर रहे रेड क्रॉस ने कहा है कि वो पाकिस्तान में अपना काम समेट रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

रेड क्रॉस ने यह एलान एक ब्रिटिश डॉक्टर की हत्या के बाद किया है. डॉक्टर खालिद रसजिद डेल की तालिबान ने गला काटकर हत्या कर दी थी. वो बलूचिस्तान के क्वेटा शहर में काम रहे थे. इसी साल जनवरी में उनका अपहरण किया गया था. इसके बाद 29 अप्रैल को उनकी सिर कटी लाश बरामद की गई थी.

डेल की हत्या के बाद पाकिस्तान पुलिस के एक अधिकारी ने दावा किया कि तालिबान ने डेल की हत्या इसलिए की क्योंकि उनकी मांगें नहीं पूरी हुईं.

रेड क्रॉस के दक्षिण एशियाई कार्यक्रम के प्रमुख जैक दे मायो का कहना है, "सभी तरह के राहत कार्य और सुरक्षा गतिविधियों को रोका जा रहा है. पुनर्वास और आर्थिक कार्यक्रमों को भी स्थगित किया जा रहा है. हम अपने ऑफिस की संख्या घटा रहे हैं." स्वास्थ्य कर्मचारियों पर बढ़ते हमले से परेशान रेड क्रॉस ने सिंध प्रांत के ऑफिस को भी बंद करने का एलान किया है. सिंध का इलाका 2010 में आई बाढ़ में बुरी तरह प्रभावित हुआ था.

बढ़ती हिंसा और गला रेतने की घटनाओं के चलते रेड क्रॉस ने पहले ही पाकिस्तान के तीन राज्यों में अपना काम समेट लिया है. अब एजेंसी का कहना है कि 'काम चलेगा लेकिन सीमित स्तर पर'. पाकिस्तान में रेड क्रॉस 1947 के बाद से ही काम रही है. इसका मकसद लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना, युद्ध और प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास में मदद करना है.

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तस्वीर: NFFTY

2011 में पाकिस्तान उन देशों में शामिल था जहां रेड क्रॉस सबसे ज्यादा सक्रिय था लेकिन अब स्थिति बदल गई है. उस वक्त वहां रेड क्रॉस के 1300 कर्मचारी थे जो लोगों को मदद पहुंचा रहे थे. इस्लामाबाद में रेड क्रॉस के प्रमुख पॉल कास्टेला कहते हैं, "हम जरूरतमंदों की अभी भी मदद कर रहे हैं, जबकि हमारे लिए काम करने की स्थिति अनुकूल नहीं है." पाकिस्तान तालिबान का नाम पहली बार 2007 में सामने आया था. 2010 में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर में हुए कार बम विस्फोट के पीछे पाकिस्तान तालिबान का ही हाथ बताया जाता है. संगठन ने इसकी जिम्मेदारी भी स्वीकार की थी.

सहायता संगठनों की सुरक्षा के लिहाज से पाकिस्तान सबसे खतरनाक जगह बन चुका है. इसी साल जुलाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक कर्मचारी को आतंकवादियों ने गोली मार दी. कुछ महीने पहले ही आतंकवादियों ने पाकिस्तान में टीकाकरण का भी विरोध किया था. आतंकवादियों ने टीकाकरण से जुड़े लोगों को जान से मारने की धमकी भी दी थी.

वीडी/एजेए (रॉयटर्स)

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