1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जबरन धर्म परिवर्तन

२० मई २०१४

छह साल की जमुना 10 साल की बहन पूजा के साथ सिंध प्रांत के मीरपुर खास से पिछले दिसंबर में अचानक गायब हो गई. दिन रात की मेहनत के बाद दोनों बहनें मिलीं, तो पता चला कि उन्होंने "अपनी इच्छा से" इस्लाम कबूल लिया है.

https://p.dw.com/p/1C2xV
तस्वीर: DW/N. Yadav

ये बहनें रज्जब पठान नाम के शख्स के घर पर रह रही थीं. लड़कियों की मां सोमा का कहना है कि मीडिया में यह मामला तेजी से फैला, जिसके बाद मुकदमा चला. लेकिन दोनों लड़कियों ने कहा कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम अपनाया है. पाकिस्तान में सहिष्णुता और शांति से जुड़ी संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडेरिटी एंड पीस इन पाकिस्तान ने पिछले दिनों रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि युवा लड़कियों को अपहरण के बाद उन्हें जान बूझ कर घर वालों से दूर रखा जाता है. रिपोर्ट बताती है, "कब्जे में रखने के दौरान पीड़ित लड़की को यौन उत्पीड़न, बलात्कार, जबरन सेक्स, मानव तस्करी या खरीद फरोख्त के लिए मजबूर होना पड़ता है."

पाकिस्तान की लगभग 18 करोड़ की आबादी में सिर्फ 10 फीसदी गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं. उनके साथ पक्षपात की घटनाएं आम हैं. लेकिन सबसे बड़ी घटनाएं धर्म परिवर्तन को लेकर होती हैं. पाकिस्तान हिन्दू परिषद के करता धरता डॉक्टर रमेश कुमार वंकवानी का कहना है, "स्थिति बहुत खराब है. हर साल पाकिस्तान में 1000 हिन्दू और ईसाई लड़कियों का अपहरण कर लिया जाता है. उसके बाद जबरन शादी करके उनसे इस्लाम कबूलवाया जाता है."

Pakistan Religion Hindus in Multan
पाकिस्तान में पांच फीसदी से ज्यादा हिन्दूतस्वीर: AP

कार्रवाई नहीं होती

सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस तरह के कई मामले सामने नहीं आ पाते हैं और जो आते भी हैं, उन पर ठीक कार्रवाई नहीं होती. कई बार तो परिवार वाले ही केस नहीं करना चाहते. मूवमेंट फॉर सॉलिडेरिटी संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल करीब 700 ईसाई और 300 हिन्दू लड़कियों का अपहरण किया जाता है. इनमें से ज्यादातर की उम्र 12 से 15 साल की होती है.

लेकिन इस मामले में जैसे ही कोई रिपोर्ट दर्ज की जाती है, अपहर्ता भी दूसरी तरफ से रिपोर्ट दायर कर देते हैं, जिसमें कहा जाता है कि "इन लड़कियों ने अपनी मर्जी से धर्म बदला है और उन्हें परेशान करने की कोशिश" की जा रही है. इसके बाद आम तौर पर मामले बंद कर दिए जाते हैं. वंकवानी का कहना है कि वे अधिकारियों के रवैये से नाखुश हैं, "सरकार भी कट्टरवादी ताकतों के दबाव में है और इस वजह से हमारी शिकायतें नहीं सुनी जातीं."

रिंकल कुमारी मामला

लेकिन बीच बीच में रिंकल कुमारी जैसा मामला आ जाता है. 2012 की इस घटना को लेकर काफी चर्चा हुई. सिंध प्रांत में उसे घर से अपहृत कर लिया गया. बाद में उसे जब अदालत में पास पेश किया गया, तो उसने कहा कि उसने अपहर्ता नावेद शाह के साथ "अपनी मर्जी और बिना दबाव" के शादी कर ली है. पाकिस्तान हिन्दू परिषद के महासचिव होचंद कारमानी के मुताबिक यह बयान दबाव में दिया गया क्योंकि अदालत में दर्जनों हथियारबंद जवान तैनात थे. आगे पढ़िए...

पिछला पन्ना..

पाकिस्तान में सिर्फ 1.6 फीसदी ईसाई हैं, जिनमें से ज्यादातर कराची और आस पास रहते हैं. इसके अलावा पंजाब के लाहौर और फैसलाबाद के इलाकों में भी उनकी अच्छी संख्या है. अनुमान है कि खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में भी करीब दो लाख ईसाई हैं और पेशावर में करीब 70,000. इनके मुकाबले हिन्दुओं की संख्या ज्यादा है. वे पाकिस्तान की आबादी के 5.5 फीसदी हैं. ज्यादातर सिंध प्रांत में रहते हैं. सबसे ज्यादा घनत्व भारत की सीमा से सटे तारपारकर इलाके में है.

Pakistanische Frauen der Hindu Minderheit
अधिकारों के लिए लड़ते लोगतस्वीर: AP

बंटवारे की टीस

भारत के बंटवारे के वक्त 1947 में कई हिन्दुओं को पाकिस्तान छोड़ कर भारत में मुंबई और दिल्ली में बसना पड़ा. जो लोग पाकिस्तान में धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं, उन्हें अंदेशा है कि इस तरह की घटनाओं से स्थिति बिगड़ सकती है. अखिल हिन्दू अधिकार संगठन के अध्यक्ष किशनचंद परवानी का कहना है कि जबरन धर्मांतरण की घटना से वह बेहद आहत हैं, "हर दिन के साथ हमारी समस्या बढ़ती जा रही है. सरकार हमारी समस्या को सुलझाने की कोशिश नहीं कर रही है." सरकार 2008 में हिन्दू विवाह कानून पास नहीं कर पाई थी, जिससे पाकिस्तान में हिन्दुओं को अपनी शादी रजिस्टर करने का मौका मिलता.

दूसरी तरफ पाकिस्तान सरकार के अधिकारी इस बात से इनकार करते हैं कि वे हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. धार्मिक मामलों के मंत्री सरदार मुहम्मद यूसुफ का कहना है कि उनकी सरकार ने सभी प्रांतों की सरकारों से कहा है कि वे जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कार्रवाई करें, "सरकार ने हमें इस बात का अधिकार दिया है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. हम जल्द ही राष्ट्रीय एसेंबली में हिन्दू विवाह कानून पेश करने वाले हैं."

धार्मिक जानकारों के मुताबिक इस्लाम में जबरन धर्मांतरण की इजाजत नहीं. पेशावर के उलेमा गुलाम रहीम कहते हैं, "लोगों को अपने धर्मों को मानने की इजाजत होनी चाहिए. सरकार को उनकी सुरक्षा करनी चाहिए. इस्लाम जबरदस्ती किसी का महजब बदलवाने की अनुमति नहीं देता."

एजेए/एमजी (आईपीएस)