पाकिस्तान में 3 आतंकवादियों को मौत की सजा
४ अक्टूबर २०१७पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग आईएसपीआर ने खबर दी है कि ये तीनों आतंकवादी एक जाने माने आतंकवादी संगठन के सदस्य थे और इन्हें सैन्य अदालतों ने आम लोंगों को मारने और सेना पर हमला करने का दोषी पाया था. हालांकि सेना के बयान में यह नहीं बताया गया है कि ये लोग किस संगठन के सदस्य थे. सेना के मुताबिक इन तीनों लोगों को खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत की एक जेल में फांसी दी गयी. अमेरिका, और भारत समेत दुनिया के कई देश पाकिस्तान पर आतंकवादियों को प्रश्रय देने का आरोप लगाते हैं जबकि पाकिस्तान खुद को आतंकवाद से पीड़ित और उनके साथ लड़ने वाला बताता है. बीते सालों में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के बड़ी संख्या में जवान आतंकवादी हमलों का शिकार बने हैं.
जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान से जुड़े मुहम्मद शोएब ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया है कि पाकिस्तान में इस साल अब तक 60 लोगों को फांसी दी गयी है. 2014 में मौत की सजा पर लगी रोक को हटाने के बाद से अब तक 480 लोगों को फांसी दी जा चुकी है. 2014 के दिसंबर में पेशावर में सेना के एक स्कूल पर आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान की सरकार ने मौत की सजा पर लगी रोक खत्म कर दी थी. इस फैसले के बाद से मौत की सजा में काफी ज्यादा तेजी दिखी है.
2015 में सरकार ने 367 लोगों को फांसी की सजा दी. यह संख्या चीन और ईरान में कुल मिला कर दी गयी मौत की सजा से भी ज्यादा है. पाकिस्तान, चीन और ईरान दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों को मौत की सजा देने वाले देशों में हैं. मानवाधाकिर संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अप्रैल में मौत की सजा पर एक रिपोर्ट जारी की थी. उसके मुताबिक 2016 में पाकिस्तान में मौत की सजा में 73 फीसदी की कमी आई थी. विशेषज्ञों का कहना है कि मौत की सजा पर अंतरराष्ट्रीय विरोध के कारण भी यह कमी आई. पाकिस्तान में फिलहाल 8,200 लोग मौत की सजा पाने के इंतजार में हैं.
एनआर/आईबी (डीपीए)