पाकिस्तान की आर्मी चीफ बनना चाहती है ये लड़की
पाकिस्तान में लड़कियों के लिए जो सपना कभी असंभव सा दिखता था, वह धीरे धीरे संभव हो रहा है. सेना में जाने का उनका सपना साकार हो रहा है. अब वहां लड़कियों के लिए कैडेट कॉलेज खोला गया है.
बड़ा सपना
मर्दान के गर्ल्स कैटेड कॉलेज में पढ़ने वाली 13 साल की दुरखाने बानुरी की आखों में एक बड़ा सपना पल रहा है. वह पाकिस्तान की पहली महिला सेना प्रमुख बनना चाहती है. वह कहती हैं, "जब एक महिला प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और स्टेट बैंक की गवर्नर बन सकती हैं, तो फिर सेना प्रमुख क्यों नहीं."
पहला गर्ल्स कैडेट कॉलेज
इस्लामाबाद से 110 किलोमीटर दूर मर्दान के इस कॉलेज में बानुरी जैसी 70 लड़कियां पढ़ती हैं. यह पाकिस्तान में अपनी तरह का पहला कॉलेज हैं जहां लड़कियों को सेना में जाने के लिए तैयार किया जा रहा है. पाकिस्तानी सेना में महिलाओं की भागादारी बढ़ाने की दिशा में इसे अहम कोशिश माना जा रहा है.
कैडेट कॉलेज के फायदे
अब से पहले पाकिस्तान में सिर्फ लड़कों के कैडेट कॉलेज रहे हैं, जहां पढ़ने वालों को सेना की नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है. पाकिस्तान में सेना में जाने का मतलब है कि भविष्य सुरक्षित होना. कैडेट कॉलेजों में पढ़ने वालों को बेहतरीन ट्रेनिंग मिलती हैं. उन्हें अच्छे से अच्छे संसाधन मुहैया कराए जाते हैं.
बेहतरी की उम्मीद
देश भर में ऐसे कैडेट कॉलेजों में सैकड़ों लड़के पढ़ते हैं. लेकिन लड़कियों को वहां पढ़ने की अनुमति नहीं है. ऐसे में मर्दान में बना विशेष कॉलेज अपवाद दिखता है. रिटायर्ड ब्रिगेडियर नूरीन सत्ती का कहना है, "ऐसे कॉलेज लड़कियों को सशस्त्र सेनाओं, विदेश सेवा और सिविल सर्विस का हिस्सा या फिर डॉक्टर इंजीनियर बनने में मदद करेंगे."
कड़ी ट्रेनिंग
खाकी वर्दी और सिर पर लाल टोपी के साथ दुरखाने और उसकी क्लासमेट परेड ग्राउंड में मार्च करती हैं, इंस्ट्रक्टर के निर्देश पर कदमताल करती हैं. साथ वे फिजीकल ट्रेनिंग और मार्शल आर्ट ट्रेनिंग में हिस्सा लेती हैं. सेना में जाना है तो कड़ा अनुशासन और शारीरिक रूप से चुस्त दुरुस्त रहना ही होगा.
सेना की ताकत
पाकिस्तान में सेना को सबसे ताकतवर संस्थान के रूप में देखा जाता है. देश के 70 साल के इतिहास में आधे समय तक सेना ने ही देश पर राज किया है. माना जाता है कि देश में चुनी हुई सरकार रहने पर भी रक्षा और विदेश नीति सेना ही तय करती है.
मुशर्रफ ने खोले दरवाजे
सेना में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है. जो भी महिलाएं सेना में रहती हैं, उनकी जिम्मेदारी प्रशासनिक कार्यों तक सीमित रही है. लेकिन 2003 में सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने महिलाओं के लिए सेना, नौसेना और वायुसेना की युद्धक शाखाओं के दरवाजे खोल दिए.
कितनी महिलाएं
पाकिस्तानी सेना ने कभी नहीं बताया कि उसके यहां कितनी महिलाएं काम करती हैं. एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर एएफपी को बताया कि लगभग सात लाख सैनिकों वाली पाकिस्तानी सेना में लगभग चार हजार महिलाएं हैं.
पहली फाइटर पायलट
आयशा फारूक 2013 में पाकिस्तान की पहली महिला फाइटर पायलट बनीं. आयशा उन महिलाओं में से हैं जिन्होंने बीते 10 साल में वायुसेना में ट्रेनिंग ली, लेकिन लड़ाकू विमान उड़ाने वाली वह पहली हैं. हाल के सालों में पाकिस्तानी वायुसेना में शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है.