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पर्यावरण सुरक्षा पर सहमति नहीं

२७ मई २००९

पैरिस में सबसे अधिक ग्रीन हाउस गैसों का निकास करने वाले सतरह देशों की बैठक में पर्यावरण सुरक्षा के साझा रुख पर सहमति नहीं हो पाई है.

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प्रदूषण से गर्म होती धरतीतस्वीर: AP

इस साल के अंत में कोपेनहैगेन में होनेवाले विश्व जलवायु सम्मेलन से पहले महत्वपूर्ण देशों के बीच अभी तक सहमति के संकेत नहीं हैं. पैरिस में 17 प्रमुख औद्योगिक और विकासमान देशों की तैयारी बैठक में मंगलवार तक साझा रणनीति तय नहीं हो पाई. उधर कोपेनहैगेन में सारी दुनिया से आए 700 उद्यमों के प्रतिनिधियों ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए फौरी क़दमों की मांग की.

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गाब्रिएल: उम्मीदें पूरी नहीं हुईंतस्वीर: AP

पैरिस तैयारी बैठक की समाप्ति से पहले जर्मन पर्यावरण मंत्री जिगमार गाब्रिएल ने कहा, कोई हलचल नहीं हो रही है. उन्होंने स्वीकार किया कि उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं. सभी देशों ने अपनी पुरानी दलीलें दुहराईं. उन्होंने कहा कि विकासशील देशों और विकसित देशों के बीच सही सहमति की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है.

लेकिन देर शाम पर्यावरण सुरक्षा के खर्चों पर नज़दीकी आई. व्यापक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए एक विश्व पर्यावरण कोष बनाने के मेक्सिको के प्रस्ताव पर सहमति के संकेत हैं. समापन प्रेस कांफ़्रेंस में फ़्रांस के पर्यावरण मंत्री और सम्मेलन के मेजबान जाँ लुई बोरलो ने कहा कि हम जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए वित्तीय संरचना बनाने के नज़दीक पहुंचे हैं.

कोपेनहैगेन में दिसंबर तक 1997 में हुई कियोटो संधि की उत्तराधिकारी संधि तय होनी है. अमेरिका ने 2020 तक कांचघर गैसों में 2005 के स्तर से 20 प्रतिशत की कटौती का लक्ष्य रखा है जबकि यूरोपीय संघ 2020 तक 1990 के स्तर से 20 प्रतिशत की कटौती करेगा. यूरोप ने कहा है कि यदि दूसरे देश साथ दें तो वह अपना लक्ष्य 30 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए तैयार है. इसके अलावा यूरोपीय देश गैस निकासी व्यापार से हुई आमदनी का पचास प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा के लिए खर्च करने के लिए तैयार हैं.

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ज़हरीली गैसों की कमी पर राजनीतितस्वीर: AP

मंगलवार को कोपेनहैगेन में जलवायु परिवर्तन पर हुए आर्थिक सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए उद्यमों के उत्साह में कमी की आलोचना की. अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर ने उद्योग जगत से फ़ौरी और व्यापक क़दमों की मांग की. ग़ैर सरकारी संगठनों ने इस बात की आलोचना की है कि उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने अपने समापन बयान में कार्बन डॉय ऑक्साइड में कमी का ठोस लक्ष्य तय नहीं किया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा