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पर्यावरण शहर स्टॉकहोम

९ नवम्बर २००९

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम के आधारभूत शहरी ढांचे और तापमान बढ़ाने वाली गैसों के बहुत कम उत्सर्जन को देखते हुए यूरोपीय संघ ने उसे 2010 का पर्यावरण शहर घोषित किया है. ओलंपिक खेलों को यहां लाने के लिए पुरज़ोर कोशिश.

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ज़हरीली गैसों का उत्सर्जन कमतस्वीर: Jutta Schwengsbier

स्टॉकहोम के भीतर भी हामार्बी स्यौस्ताद नाम का एक वार्ड है जो इस दिशा में सबसे अच्छा काम कर रहा है. ओलंपिक खेलों को स्टॉकहोम लाने के लिए बनी समिति ने से इस वार्ड के निर्माण की रूपरेखा बनायी है, जिसे अब तक के पर्यावपरण रक्षा के मानकों से भी 50 प्रतिशत आगे जाना है. हामार्बी स्योस्ताद इस कारण संसार भर के लोगों के लिए दर्शनीय ही नहीं, अनुकरणीय उदाहरण भी बन गया है.

जादुई सफ़ाई

स्तेलान फ़्रिक्सेल बड़े जोश के साथ बताते हैं कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में जहां प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 20 टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस पैदा होती है, वहीं स्टॉकहोम में केवल चार टन ही पैदा होती है. फ़्रिक्सेल आर्किटेक्ट हैं, यानी वास्तुकार. उन्होंने ही हामार्बी स्यौस्ताद को ऐसा आदर्श मॉडल बना दिया है, जहां प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष केवल ढाई से तीन टन ही कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. "लोग पूछते हैं, कैसे करते हैं आप इसे? आपकी इमारतें क्या अपने ढंग की अकेली हैं? अपनी ज़रूरत की ऊर्जा क्या आप ख़ुद ही पैदा करते हैं? आख़िर, रहस्य क्या है? रहस्य है यहां का आधारभूत ढांचा."

वीराने से उगाया हामरबी

आधारभूत ढ़ांचे का अर्थ हैं परिवहन, इमारतें, सार्वजनिक सुविधाएं, इत्यादि. हामार्बी स्यौस्ताद पहले एक उजाड़-वीरान औद्यौगिक क्षेत्र हुआ करता था. उसे नए सिरे से एक आवासीय क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया. नहरें और तालाब बनाए गए, जिन में पालदार नौकाएं इठलाती हैं. बच्चों के खेलने के स्थान और हरे-भरे पार्क बनाए गए. स्थानीय निवासियों के लिए एक छोटे-से शीशमहल जैसा एक सूचना केंद्र बनाया गया, जहां, इस बीच, दुनिया भर से आने वाले लोगों का मेला लगा रहता है. वहां हामार्बी की हूबहू नकल वाला एक मॉडल रखा है. उसकी मदद से दर्शकों को समझाया जाता है कि घरों को सेंट्रल हीटिंग द्वारा सर्दियों में किस तरह गरम रखा जाता है. कूड़े-कचरे और ग़ंदे पानी का, रिसाइकलिंग के बाद, किस तरह दुबारा उपयोग किया जाता है.

Stockholm Flash-Galerie
हरा शहरतस्वीर: dpa

कचरे का कचरा नहीं

योनास त्यौर्नब्लोम इस आदर्श बस्ती के मार्केटिंग डायरेक्टर हैं. कहते हैं कि री-साइक्लिंग संयंत्र तभी ठीक से काम कर पाता है, जब लोग अलग-अलग तरह के कचरों को अलग-अलग पात्रों में जमा करते और देते हैं "यहां कचरा डालने के ट्रे बने हैं. एक रसोई के और पेड़-पौधों वाले जैविक कचरे के लिए है. एक कागज़ और पत्र-पत्रिकाओं के लिए और दो ट्रे हैं ऐसे बकी़ कचरों के लिए, जिनकी री-साइक्लिंग नहीं होगी."

अपने आप सफ़ाई

हर घर के सामने करीब एक मीटर उँचे ऐसे कंटेनर बने हैं, जहां कचरा कुछ घंटो के लिए जमा रहता है. दिन में दो से तीन बार ज़मीन के नीचे छिपी एक कचरा संग्रह पाईप प्रणाली इन कंटेनरों को अपने आप ख़ाली कर देती है, किसी को भनक तक नहीं लगती. पाइप प्रणाली कंटेनरों के वॉल्व अपने आप खोलती है और कंटनेरों को वायुदबाव के धक्के के साथ कंटेनर डिपो में भेजती है. इस के बाद की प्रक्रिया के बारे में योनास त्यौर्नब्लोम कहते हैं कि "कागज़ वाला कंटेनर पेपर मिल में भेज दिया जाता है. रद्दी कागज़ से वहां नया कागज़ बनता है. जैविक कचरा कंपोस्ट खाद बनाने के लिए कंपोस्ट संयंत्र में चला जाता है. बाक़ी कचरे को जलाने के लिए भठ्ठी वाले संयंत्र में भेज दिया जाता है. उसके जलने से पैदा होने वाली गर्मी से बिजली बनायी जाती है और घरों को गरम रखने की सेंट्रल हीटिंग प्रणाली के लिए पानी गरम किया जाता है."

रिसाइकलिंग मंत्र

Stockholm, Umwelthauptstadt Europas 2010
कचरा अपने आप यहां से निकल जाता है.तस्वीर: Jutta Schwengsbier

न केवल कचरे का ही दुबारा उपयोग होता है, ग़ंदे पानी के शोधन द्वारा रसोई या शहर की बसों के लिए बायोगैस भी प्राप्त की जाती है. परिशोधित पानी घरों को गरम रखने के केंद्रीय तापसंयंत्र को मिलता है.

इस पानी को भारी दबाव पर तथाकथित हीट-एक्चेंजरों के द्वारा और गरम किया जाता है और तब पाइपों में घूमते हुए वह घरों और कार्यालयों को गरम करने के काम आता है. यह पानी समय के साथ जब ठंडा हो जाता है, तब एयरकंडिशनिंग में इस्तेमाल होता है. अंत में, इस के पहले कि वह बाल्टिक सागर से जा मिलता है, वह बिजली पैदा करने के टर्बाइन चलाता है. सेंट्रल हीटिंग और एयरकंडिशनिंग को चलाने के लिए बिजली धूप और पवन जैसे पुनरुत्पादी स्रोतों से प्राप्त की जाती है.

कहने की आवश्यकता नहीं कि हामार्बी स्यौस्ताद जैसा पर्यवरण आदर्श बनने के लिए ज़रूरी है कि सब काम पहले से सुनियोजित और पूरे तालमेल के साथ हो. और जनता का भी सहयोग पूरा मिले.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/प्रिया एसेलबॉर्न

संपादनः आभा मोंढे