1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पत्रकार शुजात बुखारी को अंतिम विदाई

१५ जून २०१८

जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी को आज सैकड़ों लोगों ने भावभीनी विदाई दी. उनकी अज्ञात हमलावरों ने गुरुवार को हत्या कर दी थी. पुलिस ने संदिग्ध हत्यारों की शिनाख्त के लिए लोगों से मदद मांगी है.

https://p.dw.com/p/2zbrw
Indien Journalist Shujaat Bukhari getötet
तस्वीर: Reuters/D. Ismail

52 वर्षीय शुजात बुखारी को बारामुल्ला में उनके पैत्रिक गांव  क्रीरी में दफनाया गया. नमाजे जनाजा में सौकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया. बुखारी पर हत्यारों ने तब गोली चलाई जब वे गुरुवार को श्रीनगर में भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित इलाके में अपने दफ्तर से बाहर निकल रहे थे. वे राइजिंग कश्मीर अखबारों के ग्रुप के मुख्य संपादक थे. ये मीडिया हाउस अंग्रेजी अखबार राइजिंग कश्मीर सहित तीन दैनिकों और एक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन करता है. बुखारी और उनके एक अंगरक्षक को अस्पताल पहुंचाने पर मृत घोषित कर दिया गया जबकि दूसरे अंगरक्षक की बाद में मौत हो गई.

पुलिस के अनुसार हत्यारे मोटर साइकिल पर आए थे और उन्होंने गाड़ी में चढे बुखारी और अंगरक्षकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं. अखबार समूह के मैनेजर मोहम्मद उमर के अनुसार इससे पहले कि बुखारी को चिकित्सीय मदद दी जाती उनकी मौत हो गई. उमर ने कहा, "मैं हमेशा उन्हें छोड़ने गाड़ी तक जाता था, लेकिन मैं आधे रास्ते में रुक गया क्योंकि एक फोन आ गया था. इस बीच वे आगे बढ़ गए और मैंने गोलियों की आवाज सुनी. मैं गाड़ी की ओर दौड़ा तो उन्हें खून में नहाए देखा."

ये हत्या ऐसे समय में हुई है जब कश्मीर में विद्रोहियों के खिलाफ सैनिक कार्रवाई पर रमजान के धार्मिक महीने में लगी रोक एक दिन बाद खत्म होने वाली थी. स्थानीय राजनीतिज्ञ इस रोक को और बढ़ाने की मांग कर रहे थे. विद्रोहियों ने इस सरकारी संघर्षविराम को ठुकरा दिया था.

शुजात बुखारी साहसी पत्रकार थे और कश्मीर विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाए जाने के समर्थक थे. वे भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के समाधान के लिए चल रहे ट्रैक टू कूटनीति का भी हिस्सा था. इसमें भारत और पाकिस्तान के रिटायर्ड जनरल, राजनयिक और नौकरशाह शामिल हैं. हत्या से कुछ घंटे पहले उन्होंने अपना आखिरी ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के प्रमुख की मांग और उस पर भारत की प्रतिक्रिया पर अपने अखबार की ऑनलाइन रिपोर्टिंग का पोस्ट रिट्वीट किया था.

कश्मीर में काम कर रहे पत्रकार सालों से भारी दबाव और तनाव में काम करते हैं. वे उग्रपंथी गुटों के अलावा सुरक्षा बलों के भी निशाने पर रहते हैं. 15 साल पहले पत्रकार परवेज सुल्तान की श्रीनगर के प्रेस इनक्लेव में ही हत्या कर दी गई थी, जहां मीडिया प्रकाशनों के दफ्तर हैं. कश्मीर आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान में बंटा हुआ है लेकिन दोनों ही उस पर दावा करते हैं. पाकिस्तान उसे मुस्लिम बहुल होने के कारण और भारत उसके औपचारिक रूप से देश में शामिल होने के कारण. सालों से वहां अलगाववादी आंदोलन चल रहा है, जिसमें 70,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुखारी को "जम्मू और कश्मीर में न्याय और समानता का बहादुर और प्रखर आवाज" बताया है. भारत के संपादकों के संगठन एडिटर्स गिल्ड ने शुजात बुखारी की हत्या को "प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति पर गंभीर हमला" बताया है.

भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बुखारी की हत्या को कायराना कार्रवाई बताया. उन्होंने कहा, "ये कश्मीर की समझदार आवाजों को चुप कराने की कोशिश है. वे हिम्मती और निर्भीक पत्रकार थे."

एमजे/ओएसजे (एपी, एएफपी)