नेपाली राष्ट्रपति ने सेनाध्यक्ष की बर्खास्तगी रोकी
४ मई २००९नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल द्वारा सेनाध्यक्ष जनरल रुकमंगद कटवाल को हटाए जाने के बाद वहाँ राजनीतिक और संवैधानिक संकट गहरा गया है. माओवादी प्रधानमंत्री के फ़ैसले के बाद प्रदर्शन हुए हैं, फ़ैसले के समर्थन में और उसके विरोध में. और शांति समझौते के बाद नेपाल में बनी पहली निर्वाचित सरकार का अस्तित्व ख़तरे में पड़ गया है.
राष्ट्रपति राम बरन यादव ने सेनाध्यक्ष को हटाए जाने को असंवैधानिक करार दिया है और रुकमंगद कटवाल को अपने पद पर बने रहने का निर्देश दिया है.राष्ट्रपति का संदेश कटवाल के दफ़्तर को मध्यरात्रि को सौंपा गया. नेपाल में इस समय संविधान संशोधन की प्रक्रिया से गुज़र रहा है और यह साफ़ नहीं है कि सेनाध्यक्ष को बर्खास्त करने का अधिकार किसे हैं.
राष्ट्रपति रामबरन यादव के फ़ैसले के बाद नेपाल में ढ़ाई साल पुरानी शांति प्रक्रिया को ख़तरा पैदा हो गया है. रविवार को कैबिनेट बैठक में सेनाध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव रखे जाने के बाद साझा सरकार में शामिल चार दलों के मंत्रियों ने बैठक का बहिष्कार किया और इस बीच एमाले ने सरकार से हटने का फ़ैसला लिया है. नेपाल विशेषज्ञ आनंद स्वरूप वर्मा का कहना है कि विवाद की वजह यह है कि राजा समर्थक पार्टियां 2006 शांति समझौते को लागू नहीं कर रही हैं जिसमें दोनों सेनाओं के एकीकरण की बात कही गई थी.
नेपाल के राजनीतिक संकट पर भारत की भी निगाहें जिसने शांति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और सेनाध्यक्ष कटवाल के विवाद में आम सहमति की वकालत कर रहा था. नेपाल विशेषज्ञ आनंद स्वरूप वर्मा ने इस विवाद में भारतीय राजदूत की भूमिका पर सवाल उठाया है.
नेपाल की माओवादी सरकार भारत और चीन से समान दूरी के सिद्धांत पर चलने की हिमायती रही है. अब कटवाल की बर्खास्तगी के बाद नेपाल और भारत के संबंध बिगड़ सकते हैं. भारत ने सभी दलों से आम सहमति बनाने विवादास्पद मुद्दों के समाधान के लिए समिति बनाने के आश्वासन को पूरा करने को कहा है.
रिपोर्ट: महेश झा/एजेंसियां