नीदरलैंड्स में कागज पर हो रहा है मतदान
१४ मार्च २०१७नीदरलैंड्स में आज हो रहे चुनाव में लाल पेन के बिना काम नहीं चलेगा. पूरे देश के मतदान केंद्रों में लाखों लाल पेन रखे गये हैं जिनसे मतदाता अपना वोट देंगे. जो लाल पेन का इस्तेमाल नहीं करेगा उसका वोट मान्य नहीं होगा 1922 में हुए पहले लाल पेन चुनाव की ही तरह.
हैकर रोप गोंगग्रिप ने दस साल पहले साबित कर दिया था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को मैनिपुलेट किया जा सकता है और स्वतंत्र जांचकर्ताओं को इसका पता नहीं नहीं चलेगा. उसके बाद नीदरलैंड्स फिर से चुनाव की परंपरागत विधि पर वापस लौट आया है. वोट भले ही पुराने तरीके से होता हो लेकिन चुनाव में कंप्यूटर की अभी भी भूमिका है. वोटों को गिनती के बाद जोड़ने के लिए और चुनाव परिणामों की घोषणा के लिए बर्लिन की कंपनी आईवीयू के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है और विशेषज्ञों के अनुसार वह सुरक्षित नहीं है.
वोटों की गिनती का यह सॉफ्टवेयर एक सीडी रोम पर हर मतदान केंद्र को भेजा जाता है जहां उसे कंप्यूटर में इंस्टॉल किया जाता है. रूवॉफ का कहना है कि कंप्यूटर को इंटरनेट से कनेक्ट करने के साथ ही इस सॉफ्टवेयर को मैनिपुलेट करने का खतरा शुरू हो जाता है. वोटों की गिनती मतदान केंद्रों पर ही कार्यकर्ताओं द्वारा की जाती है और नतीजे को कंप्यूटर में डाला जाता है. फिर उस डाटा को यूएसबी स्टिक पर डाल कर जिले के गिनती केंद्र पर पहुंचाया जाता है जहां जिले के सारे वोटों को जोड़ा जाता है. यूएसबी स्टिक भी सुरक्षित नहीं हैं.
हर कहीं गड़बड़ी की संभावना ने नीदरलैंड्स के अधिकारियों को चौकन्ना कर दिया है. आईटी विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं करना हैकरों के हमलों और मैनिपुलेशन से बचने का एकमात्र तरीका है. चुनाव सॉफ्टवेयर में सुरक्षा खोट का पता करने वाले विशेषज्ञ सिमोन रूवॉफ का कहना है कि 2009 से इस्तेमाल हो रहा सॉफ्टवेयर पूरी तरह असुरक्षित है. वे कहते हैं, "मैं पूरी तरह अचंभित था कि हमारा लोकतंत्र और हमारी चुनाव प्रक्रिया एक कमजोर सॉफ्टवेयर पर निर्भर है."
रूवॉफ तथाकथित नैतिक या व्हाइट हैट हैकर हैं जो सरकारी दफ्तरों, बैंकों और उद्यमों के लिए सॉफ्टवेयरों और नेटवर्कों में खामियों और सुरक्षा छेदों का पता लगाते हैं. टीवी चैनल आरटीएल के लिए उन्होंने चुनाव सॉफ्टवेयर ओएसवी की जांच की और एक ही शाम में 26 खामियों का पता कर लिया. इस जानकारी के सामने आने के कुछ ही दिनों बाद गृह मंत्रालय ने घोषणा की कि 1.29 करोड़ मतदाताओं के वोटों की गिनती फिर से हाथों से की जायेगी. उसके तुरंत बाद खुफिया एजेंसी ने चुनाव से पहले सरकारी दफ्तरों पर रूस, चीन और ईरान की ओर से हुए हैकिंग हमलों की भी जानकारी दी.
साइबर हमलों की खबरों के बाद नीदरलैंड्स में भी चुनाव में विदेशी हस्तक्षेप का डर पैदा हो गया है. आईटी एक्सपर्ट रूवॉफ का कहना है कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है. हैकर हमले इन दिनों बहुत आसान हो गये हैं क्योंकि कंप्यूटर सिस्टम बहुत ही जटिल हो गये हैं और कोई एक तकनीशियन उस पर नजर ही नहीं रख सकता है. किसी को पूरे सिस्टम की जानकारी नहीं होती, इसलिए हैकर कहीं न कहीं कमजोर रास्ता ढूंढ ही लेते हैं. रूहॉफ का कहना है कि जो चुनाव सॉफ्टवेयर को मैनिपुलेट करेगा वही तय करेगा कि देश का शासन कौन करेगा. उनका कहना है कि हैकिंग से सुरक्षा का एक ही रास्ता है कंप्यूटर को फेंक देना.
नीदरलैंड्स में आज चुनाव हो रहा है. जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार खियर्ट विल्डर्स की फ्रीडम पार्टी और प्रधानमंत्री मार्क रुटे की उदारवादी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है. द हेग में स्थित डच संसद के निचले सदन में 150 सीटें हैं जिसके लिए चुनाव हो रहा है. ऊपरी सदन सीनेट कहलाता है और उसमें 75 सीटें हैं. विधेयक पास करवाने के लिए सीनेट में भी सरकार का बहुमत जरूरी है.