नीदरलैंड में लहलहाते ट्यूलिप
दुनिया भर में वसंत ऋतु में फूलों का विशालतम बागीचा नीदरलैंड में एम्सटर्डम के पास कोएकेनहोफ में है. 400 साल पहले यहां सेंट्रल एशिया से ट्यूलिप के पहले बीज पहुंचे. अब यहां 1,000 से भी ज्यादा ट्यूलिप की किस्में मौजूद हैं.
डच फूल
लिस्से में कोएकेनहोफ गार्डन, ये फूलों से प्यार करने वालों का मक्का है. इसे 1949 में फूलों के मेले के तौर पर शुरू किया गया था. आज 32 हेक्टेयर में 70 लाख फूल लगे हैं. लोग इन्हें खरीद भी सकते हैं.
रंगीन गलीचा
फूल इस तरह से लगाए जाते हैं कि ये छह हफ्तों तक लगातार खिले रहें. गुलाबी और बैंगनी हैसिंथ के फूल सबसे पहले खिलते हैं फिर नरगिस और फिर बारी आती है ट्यूलिप की.
एक साथ
दुनिया के करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोग अब तक कॉएकेनहोफ और आसपास के ये बगीचे देखने आ चुके हैं. ये इतना बड़ा इलाका है कि यहां खूब लोग आ सकते हैं.
स्वप्निल नजारे
कॉएकेनहोफ भले ही फूलों के मेले के तौर पर शुरू किया गया हो लेकिन आज यह शो-स्टॉपर है. यहां ग्रीन और साफ पैनल लगे हैं, जो फोटोग्राफर की स्थिति के हिसाब से अलग अलग रंग में दिखाई देते हैं.
ऑर्किड भी
बेयाट्रिक्स पैवेलियन में जितने पंछी हैं उतने या उससे दोगुने ऑर्किड के फूल हैं. गुलाबी, बैंगनी, धारी वाले, चीते जैसे धब्बों वाले. इन फूलों से प्यार करने वालों के लिए यह स्वर्ग से कम नहीं.
खुद करें
कॉएकेनहोफ के एक हिस्से में कुछ छोटे बगीचे बनाए गए हैं ताकि लोग अपने घर पर क्रिएटिव होना सीखें. ऐसा ही एक इंस्टॉलेशन यहां देखा जा सकता है.
गार्डन के लिए
कॉएकेनहोफ में 100 से ज्यादा मूर्तियां लगी हुई हैं. यह सेट डच कलाकार मार्टिन क्लोप्स्ट्रा का बनाया है. यह एक बत्तख है जो अपने बच्चों के साथ है. इसका नाम है ओपिन्यूव.
खास फूल
बल्ब वाले ट्यूलिप के अलावा कुछ छोटे लकड़ी वाले एरिया हैं जिनमें जंगली फूल लगे हैं. इसके शेड बड़े बगीचे की तुलना में हल्के और सौम्य हैं. यह लेपर लिली आम तौर पर यूरोप के जंगलों में होती है.
लकड़ी के जूते
यूरोप के कई देशों में खास लकड़ी के जूते होते हैं. डच में इन्हें क्लोम्पन तो जर्मन में होल्त्सशूहे (लकड़ी के जूते) कहा जाता है. कई किसान अब भी इन्हें पहनते हैं.
गार्डन के पास
इन बगीचों में खूब हैसिंथ, ट्यूलिप और नरगिस के फूल हैं. यहां बाइक किराए पर लेकर घूमा जा सकता है. और रंगों, खुशबुओं का आनंद लिया जा सकता है.
स्वर्गिक
ईरान, तुर्की, बुल्गारिया के ट्यूलिप नीदरलैंड्स में पहली बार 1954 में बोए गए. तब फ्लेमिश डॉक्टर और बॉटनिस्ट कार्लोस क्लुसिलुस इन्हें यहां लाए थे. 1630 में ट्यूलिप बल्ब मुद्रा की तरह इस्तेमाल होता था.