1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अर्जेंटीना में महिलाएं उतरीं हिंसा के विरोध में

२१ जून २०१७

महिलाओं के खिलाफ हिंसा की समस्या सिर्फ भारत की ही नहीं है. लैटिन अमेरिकी देशों में भी ये गंभीर समस्या है. यूएन वीमन के अनुसार लैटिन अमेरिका में फेमिसाइड की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है. महिलाएं इसके खिलाफ लड़ रही हैं.

https://p.dw.com/p/2f6oU
Argentinien Buenos Aires - Maira Maidana "Gewalt gegen Frauen"
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/N. Pisarenko

2011 में क्रिसमस से एक दिन पहले मायरा मैदाना ने अर्जेंटीना के पेट्रन सेंट के लिए एक मोमबत्ती जलायी और प्रार्थना करते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं. ठीक उसी तरह जैसा वह तब करती थी जब उसे डर लगता था कि उसका पार्टनर उसे पीटेगा. लेकिन इस बार उसे पिटाई के बदले अचानक महसूस हुआ कि पूरे शरीर में आग लग गयी है. जब वह वापस मुड़ी तो उसने देखा कि उसका पार्टनर पीछे खड़ा उसे घूर रहा है और उसकी हाथ में दारू की बोतल है. वह दौड़कर तीन नलकों तक गयी लेकिन कहीं से एक बूंद भी पानी नहीं निकला.

59 सर्जरियों के बाद मैदाना सच बताने की हिम्मत जुटा पायी है कि उस रात सचमुच क्या हुआ था. उसका कहना है कि उसकी इस हिम्मत के पीछे अर्जेंटीना के दसियों हजार लोगों का जमीनी आंदोलन है जो पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के विरोध में एकजुट हुए हैं. आंदोलन का नाम है नी ऊना मेनोस, एक भी कम नहीं. इस बीच ये आंदोलन पूरी दुनिया में फैल गया है और इसके दफ्तर न्यू यॉर्क, बर्लिन, ब्राजील, कोस्टा रिका और इक्वाडोर जैसी जगहों पर हैं. मैदाना कहती हैं कि जब से यह आंदोलन शुरू हुआ है महिलाओं को छुपने की जरूरत नहीं रही है.

मैदाना 29 साल की है. उसके गले और छाती पर जलने का निशान है. वह फुसफुसाती हुई बोलती है. पिछले दिनों निकली नी ऊना मेनोस की एक रैली के दौरान उसने चार घंटे तक मार्च किया था, हाथ में बैनर था और चेहरे पर उत्साह. वह बताती है, "पहले हम इसके बारे में बात नहीं करते थे. मुझे पता नहीं कि ये डर था या शर्म या इस बात का अहसास कि न्याय हमारे साथ नहीं है. मुझे अच्छा लग रहा है कि अब यह खुले में आ गया है."

केवल 2016 में अर्जेंटीना में ही 254 महिलाओं की मौत लैंगिक हिंसा की वजह से हुई. ये आंकड़े देश के सुप्रीम कोर्ट ने जारी किये हैं. इसके अनुसार अर्जेंटीना में हर 34 घंटे पर एक महिला मारी गयी. इनमें 60 मामलों में महिलाओं ने हत्या से पहले ही हमलों की शिकायत की थी और कुछ मामलों में पार्टनरों को उनसे दूर रहने का आदेश भी मिला था. मैदाना को भी डर था कि किसी दिन उसका पार्टनर उसे मार देगा. लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था.

दोनों की मुलाकात 2003 में स्कूल में हुई. वह 14 साल का था और मैदाना 15 साल की. पहली बार उसने मैदाना को 2005 में पीटा. वे दोस्तों के साथ खेल रहे थे और उसे जलन होने लगी. वे जब लौटकर मैदाना के घर गये तो उसने उसे चेहरे पर मुक्का मारा. अगले दिन वह चेहरे पर चोट के निशानों के साथ स्कूल गयी. एक दोस्त ने उसे रिश्ता तोड़ लेने की सलाह दी और चेतावनी दी कि ऐसा बार बार होगा.

उसका कहना सच साबित हुआ. अगले आठ सालों में वह उसे नियमित रूप से पीटता रहा. अपवाद सिर्फ तब था जब वह गर्भवती थी. वह पीने लगा था. अक्सर रात को पी कर घर लौटता और उसे पीटता.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया में हर तीसरी औरत को शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव हुआ है. ज्यादातर देशों में हिंसा का सामना करने वाली 40 फीसदी से भी कम महिलाओं ने किसी तरह की मदद मांगी है. अर्जेंटीना में एक स्थानीय महिला ग्रुप ला कासा डेल एंकुएंतो के अनुसार 2008 से 2016 के बीच महिलाओं की हत्या के 2,348 मामले हुए. संगठन की आदा रिको कहती हैं कि हालांकि सही आंकड़े नहीं हैं, लेकिन कोस्टा रिका, मेक्सिको और गुआतेमाला में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले और भी ज्यादा हैं.

इसकी वजह वह मर्दाना संस्कृति है जो अर्जेंटीना में बहुत मजबूत है, जहां महिलाओं के साथ अक्सर सड़कों पर दुर्व्यवहार किया जाता है, सीटी बजायी जाती है और तंग किया जाता है. अर्जेंटीना के मौजूदा राष्ट्रपति अतीत में अपनी सेक्सिस्ट टिप्पणियों के लिए बदनाम रहे हैं. ब्युनस आयर्स के मेयर के रूप में मॉरिसियो माक्री ने 2014 में कहा था कि सभी महिलाओं को फब्ती सुनना अच्छा लगता है. लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने नी ऊना मेनोस को समर्थन देने और पीड़ितों की रक्षा करने का आश्वासन दिया है.

एमजे/आरपी (एपी)