नाम स्वाजीलैंड ने बदला, खुश स्विट्जरलैंड के लोग
२७ अप्रैल २०१८स्वाजीलैंड अफ्रीका का ऐसा अकेला देश है जहां पूरी तरह से राजशाही व्यवस्था है. वहां के राजा को दुनिया अपनी कई पत्नियों और ऐशो आराम वाली जिंदगी जीने के लिए जानती है. ब्रिटेन से आजादी मिले इस देश को इसी साल 50 साल पूरे हुए हैं. इस मौके पर देश का नाम बदला गया है. पिछले दिनों हुए जश्न में दक्षिण अफ्रीका में तैनात ब्रिटिश उच्चायुक्त निगेल कासे ने भी हिस्सा लिया. शुक्रवार को उन्होंने ट्वीट किया, "कल स्वाजीलैंड ने अपनी आजादी का जश्न मनाया और देश का नाम बदलकर ईस्वातिनी (eSwatini) कर दिया गया है."
स्वाजी राजा 32 साल से गद्दी पर हैं और उनके पास अथाह संपत्ति बताई जाती है. लेकिन मानवाधिकार संस्थाएं उन पर अभिव्यक्ति की आजादी और विपक्षियों को दबाने का आरोप लगाती हैं.
किंग उमस्वाती तृतीय ने कहा, "आजादी मिलने के बाद बहुत से अफ्रीकी देशों ने अपने प्राचीन नामों को अपनाया है. आज से हमें स्वाजीलैंड नहीं कहा जाएगा." अपना नाम बदलने वालों में जिम्बाब्वे भी शामिल है जिसे अंग्रेजी शासन के दौरान रोडेशिया कहा जाता था. इसके अलावा उत्तरी रोडेशिया जाम्बिया हो गया. वहीं कभी जायरे के नाम से मशहूर देश को अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो कहा जाता है. इसी कड़ी में, अब स्वाजीलैंड को उसके ऐतिहासिक नाम ईस्वातिनी के नाम से जाना जाएगा. वैसे किंग उमस्वाती संसद के सत्र या फिर अन्य अहम मौकों पर इस नाम का प्रयोग करते रहे हैं.
दूसरी तरफ, बताया जाता है कि स्वाजीलैंड के नाम बदल लेने से स्विट्जरलैंड के लोगों ने राहत की सांस ली है क्योंकि कई बार
ऑनलाइन फॉर्म भरते वक्त स्वाजीलैंड और स्विट्जरलैंड में कुछ लोगों को उलझन हो जाती थी. इस बात का जिक्र राजा ने भी किया. उन्होंने कहा, "जब भी हम विदेश में जाते है तो लोग स्वाजीलैंड को स्विट्जरलैंड समझने लगते हैं." वैसे यह अभी साफ नहीं है कि नाम बदलने की इस प्रक्रिया पर कितना खर्चा आएगा.
स्वाजीलैंड की आजादी के 50 साल पूरे होने के जश्न में ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वे भी शामिल हुईं. 2016 में सत्ता संभालने के बाद यह उनका पहला अफ्रीका दौरा है. स्वाजीलैंड दुनिया के उन गिने चुने देशों में शामिल हैं जिन्होंने चीन की बजाय ताइवान के साथ राजनयिक संबंध रखे हैं.
एके/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)