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नाटो ने बढ़ाया रूस की तरफ हाथ

९ मार्च २०१२

बरसों तक किनारे किए रखने के बाद 28 देशों के सैनिक संगठन नाटो ने एक बार फिर रूस की तरफ बातचीत का हाथ बढ़ाया है. शीर्ष अधिकारी व्लादीमीर पुतिन से मिलना चाहते हैं, जो फिर से रूस के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

गुरुवार को नाटो ने बताया कि नाटो प्रमुख आंदर्स फो रासमुसन और पुतिनकी टेलीफोन पर बात हो गई है और वे दोनों मिलने के लिए राजी हैं. नाटो कीप्रवक्ता ओआना लुंगेस्कू ने कहा, "यह अच्छी बातचीत रही. दोनों पक्ष इस बातपर राजी हो गए कि जल्द ही सहयोग पर बातचीत करेंगे."

नाटो मुख्यरूप से अमेरिका और यूरोपीय देशों का सैनिक संगठन है, जिसका गठन शीत युद्धके दौरान सोवियत रूस से मुकाबला करने के लिए किया गया था. हालांकि सोवियतरूस के टूटने और दुनिया के दूसरे हिस्सों में बढ़ती अशांति ने नाटो काकिरदार भी बदला है. लेकिन रूस के साथ उसके रिश्ते कभी भी बहुत अच्छे नहींहो पाए हैं. पिछले एक दशक से नाटो और रूस में मिसाइल सुरक्षा कवच को लेकरविवाद चल रहा है.

पश्चिमी देशों का कहना है कि वह पोलैंड और चेकगणराज्य में ऐसा सुरक्षा कवच लगाना चाहते हैं, जो यूरोप को दूसरी तरफ सेकिसी संभावित हमले से बचा सकेगा. हालांकि रूस का दावा है कि ऐसे किसी कदमसे अमेरिकी और पश्चिमी सेना उसके दरवाजे पर बैठ जाएगी, जो उसे कतई पसंदनहीं है. पश्चिमी देशों का कहना है कि वे ईरान जैसे किसी देश की ओर सेहोने वाले संभावित आक्रमण से बचना चाहते हैं लेकिन रूस समझता है कि इससेउसकी मिसाइलें भी भोथरी साबित हो सकती हैं. ऐसे में उसकी सैनिक शक्तिकमजोर पड़ सकती है.

दोनों पक्षों में इस मामले को लेकर विवादइतना बढ़ चुका था कि नाटो ने रूस को अलग थलग करने की योजना बना ली थी.पिछले चार सालों में जब दिमित्री मेद्वेदेव राष्ट्रपति थे, नाटो ने ज्यादाउत्साह नहीं दिखाया. लेकिन रूस के शक्तिशाली पुरुष बन कर उभरे पुतिन सेहाथ मिलाने के अलावा उसके पास कोई चारा भी नहीं है. अभी तय नहीं हुआ है किदोनों पक्ष मई में नाटो की सालाना बैठक से पहले मिलेंगे या उसके बाद. आमतौर पर नाटो शिखर सम्मेलन में रूसी प्रतिनिधि भी जाता है लेकिन मिसाइलसुरक्षा कवच पर उपजे विवाद के बाद इसकी संभावना कम होती जा रही है.

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तस्वीर: picture alliance/landov

तमाममतभेदों के बाद भी अफगानिस्तान के लिए रूस ने नाटो की मदद की है. उसनेपश्चिमी देशों को वह रास्ता दिया है, जिससे आसानी से अफगानिस्तान पहुंचाजा सतका है. हाल में पाकिस्तान ने अपने 24 सैनिकों के मारे जाने के बादनाटो की रसद सप्लाई का रास्ता रोक दिया था, जिसके बाद से रूस का रास्ताबहुत अहम हो गया है.

इसके अलावा रूसी नौसेना ने नाटो के साथ मिल करसमुद्री डकैतों के खिलाफ भी अभियान चलाया है और दोनों पक्ष आतंकवाद केखिलाफ युद्ध में भी सहयोग कर रहे हैं. फिर भी दोनों के बीच रिश्ते कभी भीबहुत अच्छे नहीं रहे हैं. नाटो अब इस रिश्ते को बदलना चाहता है.

नाटोकी तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "फो रासमुसन ने चुनाव जीतने परव्लादीमीर पुतिन को बधाई दी है और वादा किया है कि नाटो और रूस सच्चेसाथियों की तरह मिल कर आगे बढ़ेंगे."

रिपोर्टः एपी/ए जमाल

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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