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नस्लवाद से जूझता फुटबॉल

Priya Esselborn२१ जनवरी २०१३

इंग्लिश प्रीमियर लीग के मैच में दो खिलाड़ियों पर नस्लवादी फब्ती कसने के आरोपी फुटबॉल प्रेमी को सजा मिलेगी. नस्लवादियों के खिलाफ सख्ती के बावजूद यह बहस जारी है कि फुटबॉल में आखिर नस्लवाद कहां से आ रहा है.

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तस्वीर: dapd

घटना बीते साल 21 अक्टूबर की है. एवर्टन और क्वींस पार्क के बीच इंग्लैंड के मशहूर प्रीमियर लीग का मैच चल रहा था. क्वींस पार्क के कप्तान और दक्षिण कोरिया के फुटबॉलर जी सुंग पर ताने कसे गए. अपशब्दों के शिकार नाइजीरिया के अश्वेत फुटबॉलर विक्टर एनीचेबे भी बने.

दोनों खिलाड़ियों ने मामले की शिकायत साथियों से की और फिर अधिकारियों को जानकारी दी गई. जांच में पता चला कि फब्तियां 42 साल के विलियम ब्लिथिंग कस रहे थे. ब्लिथिंग अपनी पत्नी, दो बच्चों और पोते के साथ मैच देखने पहुंचे थे और बीच बीच में चीख रहे थे. नाइजीरियाई खिलाड़ी को उन्होंने अपशब्दों के साथ “बंदर” कहा. कोरियाई खिलाड़ी के पास आते ही कहा कि, "इस चिंक को यहां से हटाओ."

सुनवाई को दौरान ब्लिथिंग लगातार कहते रहे कि, "मैं नस्लवाद के मामले में जरा भी दोषी नहीं हूं, लेकिन मैं यह स्वीकार करता हूं कि मैंने भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किया. 4,000 लोगों में से किसी ने भी यह बातें कही हो सकती हैं, लेकिन आरोप सिर्फ मुझ पर ही लगाया जा रहा है. मेरी पत्नी ने भी मुझे सुना और उसे पता है कि मैंने कुछ भी नस्लवादी नहीं कहा."

लेकिन इन दलीलों का अदालत पर कोई असर नहीं पड़ा. अदालत ने माना कि पुलिस जांच के सबूत यह साबित करने के लिए काफी हैं कि ब्लिथिंग ने नस्लवादी शब्द कहे. सोमवार को पश्चिमी लंदन के मजिस्ट्रेट ने ब्लिथिंग को नस्लवादी अपशब्द कहने का दोषी करार दिया. सजा 11 फरवरी को सुनवाई जाएगी.

इंग्लिश प्रीमियर लीग नस्लवाद के कई मामलों से जूझ रहा है. पिछले साल अक्टूबर में ही इंग्लैंड के कप्तान जॉन टेरी पर भी नस्लवादी टिप्पणी के आरोप लगे. फुटबॉल संघ ने जांच के बाद टेरी पर चार मैचों का प्रतिबंध लगाया और 2,20,000 पाउंड का जुर्माना ठोंका.

इटली में भी इसी साल प्रशंसकों की नस्लवादी टिप्पणी का मामला सामने आया है. एक दोस्ताना मैच में एसी मिलान के जर्मन खिलाड़ी केविन प्रिंस बोआटेंग पर नस्ली फब्ती कसी गई. विवाद इतना बढ़ा कि मैच रद्द करना पड़ा. बोआटेंग इस घटना से इतने आहत हैं कि अब वे नस्लवाद के खिलाफ अपने स्तर पर अभियान छेड़ रहे हैं.

ओएसजे/एजेए (एएफपी)

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