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नशा मुक्त भारत का सपना

१५ दिसम्बर २०१४

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नशा मुक्ति के खिलाफ मुहिम की शुरूआत की है. मोदी ने अपने रेडियो संबोधन मन की बात में देश को नशा मुक्त बनाने के लिए भावनात्मक अपील की.

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तस्वीर: Fotolia/NatUlrich

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में चल रहे नशे के कारोबार का धन आतंकवाद में लगने का अंदेशा जताते हुए कहा कि नशा एक सामाजिक बुराई है और इससे समग्रता से निपटने की जरूरत है. मोदी ने आकाशवाणी पर अपने कार्यक्रम "मन की बात" में बताया कि नशे की समस्या से निपटने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. मोदी का कहना है कि नशा एक मानसिक, सामाजिक और चिकित्सकीय समस्या है और इसके इलाज के लिए व्यक्ति, परिवार, दोस्त, समाज, सरकार और कानून को साथ मिलकर एक दिशा में काम करना पड़ेगा. मोदी ने अपने रेडियो संबोधन में कहा कि सरकार नशा मुक्ति के लिए हर कदम उठा रही है और इसके लिए जल्द ही हेल्पलाइन स्थापित करने का प्रस्ताव है. मोदी ने माता पिता और समाज के साथ ही सोशल मीडिया से भी इस दिशा में ठोस पहल करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है और उसके जरिए इस बुराई से निपटने में आसानी होगी इसलिए इस मीडिया को नशामुक्त भारत के लिए आंदोलन चलाना चाहिए.

आतंकवाद और नशे का रिश्ता

नशे की जकड़ में आए युवाओं से मोदी ने कहा कि वे नशे को स्वीकार करके खुद को ही नहीं बल्कि अपने पूरे परिवार को तबाह करते हैं. मोदी ने कहा कि युवा पीढ़ी को नशे के दलदल से बाहर आना चाहिए और इसकी चिंता पूरे समाज को करनी होगी. युवाओं को सोचना होगा कि जिस बुराई को वे खरीद रहे हैं, कहीं उसका पैसा उनके स्वास्थ्य के साथ ही पूरे देश और समाज को भी तबाह तो नहीं कर रहा है. मोदी ने कहा कि नशीली दवाओं पर खर्च हुए पैसों से ड्रग्स माफिया अपना जाल फैला सकते हैं और आतंकवादी हथियार खरीदकर सीमाओं की रक्षा कर रहे जवानों का खून बहा सकते हैं.

मां पिता की भूमिका

मोदी ने माता पिता के लिए भी अपने संबोधन में संदेश दिया. मोदी ने कहा, "इसमें मां बाप को अहम भूमिका निभानी होगी, बच्चा जब 16 साल की उम्र में आ जाए तो उसके साथ माता पिता को दोस्त की तरह व्यवहार करने की जरूरत है." मोदी ने कहा कि परिवार ही बच्चे की पहली पाठशाला है इसलिए हर माता पिता का पहला कर्तव्य है कि बच्चों को ड्रग्स की चपेट में आने से बचाने के लिए खुद पहल करें.

मोदी ने कहा कि जिंदगी का गुजारा करने की आपाधापी में माता पिता के पास वक्त की कमी है. इसके बावजूद हमें बच्चों को समय देना पड़ेगा और केवल उसके परीक्षा के अंक, खाने, खेलने और दोस्ती की चिंता ही नहीं बल्कि उसके मन की बात को सुनने का भी समय निकालना होगा. मोदी ने माता पिता को उनके बच्चों में आ रहे किसी तरह के बदलाव पर बारीकी से नजर रखने के साथ साथ उसके दोस्तों, उसकी सोच, उसके तर्क, उसकी किताब और यहां तक कि उनके मोबाइल पर नजर रखने की सलाह दी.

इससे पहले मोदी लोगों से स्वच्छता को अपनाने की भी अपील कर चुके हैं. मोदी ने खुद स्वच्छ भारत अभियान के तहत सफाई कर लोगों से भी इसमें जुड़ने की अपील की. मोदी की इस अपील का असर भी देखने को मिला. आम लोग ही नहीं समाज के कई तबकों के कई महत्वपूर्ण लोग इस अभियान से जुड़े हैं.

एए/आरआर (पीटीआई, वार्ता)