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नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार

१३ सितम्बर २०१३

भारत के अगले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे. दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह ने यह घोषणा की. बैठक में वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी नहीं आए.

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तस्वीर: AP

लंबी खींचतान और उहापोह के बाद आखिरकार बीजेपी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार बना ही दिया. वैसे इसके कयास तो लंबे समय से लग रहे थे लेकिन सहयोगी दलों के साथ ही पार्टी के भीतर विरोध की कुलबुलाहटों ने बीजेपी को इस फैसले पर पहुंचने से रोक रखा था.

विरोधियों के साथ ही सहयोगी दलों और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साफ विरोध को भी दरकिनार कर अब फैसला ले लिया गया. नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय भूमिका के लिए तैयार करने के लिए इससे पहले ही चुनावों के लिए पार्टी की चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया जा चुका है:

संसदीय बोर्ड की बैठक से बाहर आ कर बीजेपी प्रमुख राजनाथ सिंह ने कहा, "श्री नरेंद्र मोदी हमारे प्रधानमंत्री उम्मीदवार होंगे." पीले कुर्ते पर फूल मालाओं से सजे मुस्कुराते नरेंद्र मोदी ने इस एलान के बाद पहले बयान में कहा, "मैं करोड़ों भारतीयों का आशीर्वाद चाहता हूं जो देश को इन बुरे दिनों से बाहर निकालने में हमारे साथ आएंगे."

Indien Narendra Modi Premierminister von Gujarat
निवेशकों को संबोधित करते नरेंद्र मोदी(फाइल)तस्वीर: Sam Panthaky/AFP/Getty Images

62 साल के नरेंद्र मोदी के सामने मुमकिन है कि कांग्रेस की ओर से चुनौती देने के लिए राहुल गांधी होंगे. हालांकि नेहरू परिवार के वारिस को आधिकारिक तौर पर अभी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है. भारत में संसदीय लोकतंत्र है जिसमें पहले से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों की घोषणा की परंपरा नहीं है. चुनाव के बाद संसद में बहुमत के नेता को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री बनने का न्यौता देते हैं.

एक चाय दुकान मालिक के बेटे से देश के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बीच में नरेंद्र मोदी ने लंबा सफर तय किया है. नरेंद्र मोदी 11 साल से गुजरात के मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने राज्य को कारोबारियों, निवेशकों के लिए मुफीद बना कर काफी नाम कमाया है. हालांकि उनकी छवि पर गुजरात दंगों को ना रोक पाने का दाग है जो अब तक उनके किए दूसरे कामों पर भारी पड़ा है. अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने उन्हें वीजा देने से भी मना कर रखा है. काम करने के उनके तौर तरीकों को भी लेकर मोदी की आलोचना होती है और उन्हें निरंकुश माना जाता है.

बीजेपी के लिए उनका चुनाव इसलिए भी मुश्किल रहा है क्योंकि पार्टी के भीतर ही उनको लेकर काफी विरोध था. हालांकि गुजरात में किए कामों और देश में लचर प्रशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों की उठती आवाज ने मोदी के पक्ष में माहौल बनाने में मदद की है. खासतौर से टेलिकॉम और कॉमनवेल्थ घोटालों की वजह से मौजूदा सरकार की काफी किरकिरी हुई है. इसके अलावा गिरती अर्थव्यवस्था भी एक बड़ी वजह है. मोदी ने अपनी छवि कारोबार जगत के दोस्त के रूप में विकसित की है और उन्हें इसका फायदा हुआ है.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

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