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नया भरोसा या नई परीक्षा

७ मार्च २०१६

भारत इस समय सुरक्षा सुनिश्चित करने में लगा है. खतरे के बीत जाने के बाद पता चलेगा कि पाकिस्तान से मिला सुराग कितना महत्वपूर्ण था. यह भारत और पाकिस्तान के बीच नए भरोसे की शुरुआत हो सकती है, लेकिन एक नई परीक्षा भी.

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Flagge Pakistan und Indien
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Sharma

भारत में महाशिवरात्रि का त्यौहार आतंकी खतरे में दायरे में मनाया गया. केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दस आतंकवादियों के हमले के अभियान पर होने वाली चेतावनी के बाद गुजरात के अलावा बहुत सारे महानगरों में हाई अलर्ट है. गुजरात में एनएसजी की चार कमांडो टीमें भेजी गईं, तो राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, मध्यप्रदेश, राजस्थान और चंडीगढ़ में सख्त सुरक्षा रही.

भारत दशकों से आतंकी हमलों के खतरे का सामना कर रहा है. कोई साल ऐसा नहीं रहा जब छोटे बड़े हमले नहीं हुए हैं. इस साल तो पठानकोट में एयरबेस को आतंकियों ने हमले का निशाना बनाया. देश का कोई हिस्सा ऐसा नहीं है जिसे आतंकियों ने अपना निशाना नहीं बनाया है, भले ही मुंबई या दिल्ली जैसे शहर उनकी प्राथमिकता में रहे हों. आम समझ होगी कि भारत आतंकवाद के लगातार खतरे को देखते हुए हमेशा चौकसी की स्थिति में होगा. इसलिए शिवरात्रि के मौके अचानक इतनी हलचल यह संदेह पैदा करती है कि ऐसा है नहीं.

भारत के लिए हालात आसान भी नहीं हैं. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ स्वीकार कर चुके हैं कि वे लोग पाकिस्तान के हीरो हैं जिन्हें भारत आतंकवादी और मुंबई जैसे हमलों के लिए जिम्मेदार मानता है. बहुत से लोगों को इसमें भी कतई संदेह नहीं रहा है कि भारत के खिलाफ लड़ने वाले आतंकी संगठनों को पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद मिलती रही है. भारत समय समय पर गर्म और नर्म रवैया अपनाता रहा है कि लेकिन पाकिस्तान को शांति के लिए मनाने और उसकी भारत विरोधी नीति का तोड़ निकालने में नाकाम रहा है.

हालांकि भारत ने औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है लेकिन इस बार पाकिस्तान ने कहा है कि आतंकी हमले की आशंका की सूचना उसने भारत को दी है. हो सकता है कि मोदी के पाकिस्तान दौरे और नवाज शरीफ से मुलाकात के बाद पाकिस्तान इस बार गंभीर हो. लेकिन इस बात की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि वह भारत की तैयारी परख रहा है. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इस बात के सबूत मिलते हैं कि राजनयिक मिशनों पर इस तरह की परीक्षाएं ली जाती हैं. सोवियत संघ के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए जब जर्मन चांसलर कोनराड आडेनावर ने मॉस्को का पहला दौरा किया था तो उन्हें ले जाने वाले जहाज में सीआईए का वह कैमरा लगा था जिसने मॉस्को के निकट तैनात सोवियत संघ के यो यो रडार सिस्टम की तस्वीर ली थी.

अगर पाकिस्तान ईमानदारी के साथ भारत के साथ संबंधों में आगे बढ़ना चाहता है और खुफिया सूचना का आदान प्रदान खुफिया एजेंसियों के सहयोग की पहली पायदान है तो जल्द ही ऐसी संरचना बनाई जानी चाहिए कि दोनों देशों के बीच भरोसे को बढ़ाया जा सके. अच्छे संबंधों का आधार साझा मूल्य और साझा संरचनाएं होती हैं. दोनों ही देशों को साझा मूल्यों की ओर बढ़ने की जरूरत है और उसके लिए सभी स्तरों पर बातचीत जरूरी है. दुश्मनी मिटाने के लिए संदेह के बादलों को हटाना जरूरी है. इसकी पहल ही नहीं करनी होगी इसे सुनिश्चित भी करना होगा. जर्मनी और फ्रांस का उदाहरण दिखाता है कि यह संभव है.