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'नक्सली भी तो अपने ही हैं'

२५ सितम्बर २०१३

"नक्सली हमारे अपने लोग हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई में हमें ज्यादा मानवीय रास्ता अपनाना चाहिए." सीआरपीएफ महानिदेशक के इस बयान से एक बार फिर नक्सलवाद और हथियारों के बल पर उसे रोकने की कोशिश पर बहस छिड़ी है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

दिल्ली में नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस प्रमुखों और सचिवों की आज बैठक हो रही है.
नई दिल्ली में सीआरपीएफ के नए महानिदेशक दिलीप त्रिवेदी ने कहा, "नक्सली हमारे अपने लोग है. वे बाहरी नहीं है. हम देश के अंदर ही काम कर रहे है और सीमा सुरक्षा बलों की तरह किसी दुश्मन का सामना नहीं कर रहे हैं. हमें (माआवोदियों के खिलाफ) अपनी कार्रवाई में ध्यान देना होगा."

दिलीप कुमार महीने भर पहले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के निदेशक बने. हाल ही में वो नक्सल प्रभावित राज्यों झारखंड और छत्तीसगढ़ का दौरा करके लौटे हैं. इस दौरान उन्होंने कई लोगों से मुलाकात की. नई दिल्ली लौटने के बाद सीआरपीएफ प्रमुख ने कहा, "हम सीमा के पार किसी पर निशाना नहीं साध रहे हैं और मुझे लगता है कि हमें थोड़ा ज्यादा मानवीय होना चाहिए. ये एक मानसिक झिझक जैसा है कि आप अपने ही लोगों के खिलाफ लड़ रहे है. हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि माओवादियों के खिलाफ हमारी तैयारी में कोई कमी आएगी."

नक्सलवादी विरोधी सरकार की कार्रवाईयों में सीआरपीएफ की बड़ी भूमिका है. इस वक्त सीआरपीएफ के करीब 85,000 जवान भारत के नौ राज्यों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान से जुड़े हैं. इनमें भारी हथियारों वाली टुकड़ियां और कमांडो जत्थे भी हैं. 1978 बैच के आईपीएस दिलीप त्रिवेदी यह भी कह रहे हैं कि बंदूक के बल पर भले ही नक्सलवाद को दबा दिया जाए, लेकिन इस समस्या को विकास के जरिए ही पूरी तरह खत्म किया जा सकता है.

मई 1967 में भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से वामपंथियों के एक गुट ने सशस्त्र विद्रोह का एलान किया. इसी वजह से इन्हें नक्सली कहा जाता है. नक्सली आरोप लगाते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें गरीब और पिछड़े इलाकों में विकास करने के बजाए संसाधनों की लूट को ज्यादा बढ़ावा देती हैं. नक्सलियों में बड़ी संख्या में आदिवासी, भूमिहीन किसान, पिछड़े वर्ग के किसान हैं. वहीं दूसरी ओर आम लोगों की बात करने वाले नक्सलियों ने बीते एक दशक में आम लोगों को ही कई बार निशाना बनाकर ऐसा संदेश दिया है जैसे वो सरोकारों के बजाए इलाकाई वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. एक अनुमान के मुातबिक भारत में 20,000 हथियारबंद नक्सली हैं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नक्सलियों को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दे चुके हैं.

ओएसजे/एनआर (पीटीआई)