"नए प्रतिबंध अमेरिकी प्रोपेगंडा"
१८ जनवरी २०१६सोमवार सुबह एशिया के बाजार खुलने के साथ ही तेल की कीमतें गिरने लगीं. 12 साल बाद पहली बार कच्चा तेल इतना नीचे गिरा. पश्चिमी देशों के प्रतिबंध हटाने के बाद ईरान तेल निर्यात कर सकेगा. फिलिप फ्यूचर के समीक्षक डैनियल आग के मुताबिक, "गिरावट पश्चिमी देशों के प्रतिबंध हटाये जाने से आई है. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में तेल के दाम और गिरेंगे क्योंकि ईरान का कच्चा तेल बाजार में आएगा."
अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 2014 के मध्य के बाद से काफी गिरे हैं. उत्तरी अमेरिका में तेल उत्पादन बढ़ने के साथ चीन के धीमे आर्थिक विकास ने भी तेल के दाम गिराये हैं. सस्ते कच्चे तेल की वजह से रूस और सऊदी अरब को खासा आर्थिक नुकसान हो रहा है. सऊदी अरब की हालत तो इतनी खराब हो रही है कि वहां पहली बार ईंधन पर दी जाने वाली सब्सिडी बंद करनी पड़ी है.
ईरान पर कई प्रतिबंध 2006 से लगे हुए थे. उस वक्त ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद थे, जो परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे थे. रविवार को यूरोपीय संघ और अमेरिका ने ईरान पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध हटाये. यह संयुक्त राष्ट्र की परमाणु कार्यक्रम निगरानी संस्था आईएईए के एलान के बाद हुआ. आईएईए के मुताबिक तेहरान ने जुलाई में हुए परमाणु समझौते की शर्तों का पालन किया है. यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी फेडरिका मोगेरिनी ने इसे कई आयामों में दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद बताया.
हालांकि आर्थिक प्रतिबंध हटाए जाने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिका ने तेहरान पर फिर से कुछ नए प्रतिबंध लगाए. इनके तहत पांच ईरानी नागरिकों के अलावा चीन और संयुक्त अरब अमीरात स्थित कुछ कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया गया है. वॉशिंगटन के मुताबिक उसने मिसाइल कार्यक्रम के चलते ईरान पर नए प्रतिबंध लगाए हैं.
तेहरान ने इन प्रतिबंधों को "अवैध" करार दिया है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुसैन जाबेर अंसारी ने इसे अमेरिकी प्रोपेगंडा बताते हुए कहा, "ईरान का मिसाइल कार्यक्रम कभी भी परमाणु हथियार ढोने के लिए डिजायन नहीं किया गया. अमेरिका हर साल इलाके के देशों को अरबों डॉलर के हथियार बेचता है. यह हथियार फलीस्तीनियों, लेबनानियों और हाल ही यमनी नागरिकों के खिलाफ युद्ध अपराध में इस्तेमाल किये जा रहे हैं."
लेकिन नए प्रतिबंधों के बावजूद इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि ईरान और अमेरिका के संबंधों में बीते कुछ समय से मधुरता आती दिख रही है. तेहरान ने अपनी विवादित परमाणु कार्यक्रम की निगरानी की शर्त स्वीकार करने के साथ साथ बीते हफ्ते अमेरिका के नौसैनिकों को भी रिहा किया. इस बीच तेहरान ने कुछ सालों से ईरान में कैद अमेरिकी नागरिकों को भी रिहा करना शुरू किया है. अंतरराष्ट्रीय मंच में ईरान की वापसी से सऊदी अरब और इस्राएल खासे परेशान हो रहे हैं.