नई छिपकली की खोज
२४ जुलाई २००९वैज्ञानिकों ने इस नई नस्ल का नाम क्नीमेस्पिस कोल्हापुरेंसिस रखा है. बॉंबे नैचुरल हिस्टरी सोसाइटी बीएनएचएस के वैज्ञानिकों ने अमेरिका की विलानोवा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ इस छिपकली को खोज निकाला है.
छिपकली को सबसे पहले बीएचएनएस के निरीक्षक वरद बी गिरी ने देखा जब वह कोल्हापुर ज़िले के फश्चिमी घाट इलाके में सिसीलियन यानी सांपों और केंचुओं से कच्चे तौर पर मिलने वाले जीवों के अनुक्रम की जांच कर रहे थे.
यह छिपकली आम तौर पर छोटी होती हैं और बाकी छिपकलियों के मुकाबले इसके आंखों की पुतलियां गोल होती हैं. पास से देखा जाए तो इसकी पूंछ देखने की दिशा के अनुसार रंग बदलती है.
बीएनएचएस के निदेशक डॉ. असद रहमानी का कहना था कि इस तरह की छिपकलियां जंगलों में पाई जातीं हैं लेकिन कभी कभी घरों में भी मिल जाती हैं.
भारत में इस वर्ग की छिपकलियां साह्याद्री पर्वतमाला और भारत के पूर्वी तटीय राज्यों में भी पाई जाती हैं.
महाराष्ट्र में हाल में दो और छिपकलियों के नस्लें मिली हैं, हेमीडैक्टाइलस सताराएन्सिस और हेमीडैक्टाइलस आरोनबाउरी.
रिपोर्ट- पीटीआई/एम गोपालकृष्णन
संपादन- आभा मोंढे