धरती की गोद में कलाम
"मां तुम्हारे प्रेम, तुम्हारे लालन पालन और तुम्हारे विश्वास ने मुझे शक्ति दी, ताकि मैं दुनिया का सामना कर सकूं. हम फिर मिलेंगे, उस महान फैसले के दिन, मेरी मां." एपीजे अब्दुल कलाम.
पूरी हुई परिक्रमा
15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में पैदा हुए एपीजे अब्दुल कलाम का आखिरी सफर रामेश्वरम में ही पूरा हुआ. राजकीय सम्मान के साथ उन्हें हिंद महासागर के तट पर बसे रामेश्वरम में सुपुर्द ए खाक किया गया.
आखिरी सलाम
वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को आखिरी विदाई देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रामेश्वरम पहुंचे. उनके अलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व कई अन्य नेता भी वहां जुटे.
बंधनों से परे कलाम
भारत में हाल के समय में ऐसे बहुत कम लोग हुए हैं जो धर्म और जाति की बेड़ियों को पार कर सच्ची भारतीयता के स्तर पर पहुंचे हों. एपीजे अब्दुल कलाम के निधन के साथ भारत ने एक ऐसी शख्सियत खोई है.
विलक्षण व्यक्तित्व
"बरसात से बचने के लिए ज्यादातर पंछी आश्रय खोजते हैं. लेकिन सिर्फ बाज ही बादलों के ऊपर उड़कर बरसात से खुद को बचाता है. परेशानियां एक सी होती हैं, आपका नजरिया अंतर पैदा करता है."
हो सके तो लौट के आना
दिल्ली, मुंबई और दूसरे शहरों से कई लोग गुरुवार को कलाम को आखिरी विदाई देने रामेश्वरम पहुंचे. हजारों की भीड़ उन्हें भीनी आंखों से मिट्टी के आगोश में जाते हुए देखती रही.
तुम अंकुर हो
"मुश्किलें हमें परेशान करने के लिए नहीं आती, वे तो हमें सिखाने और अपने भीतर छुपी हुई संभावना की जानकारी देती हैं."
प्रेम करो
"किसी को हराना बेहद आसान है लेकिन किसी को दिल से जीतना सबसे मुश्किल है."
मेरी आखिरी ख्वाहिश
"अगर आप वाकई मुझसे प्रेम करते हैं तो मेरी मृत्यु के दिन अवकाश घोषित मत करना बल्कि एक दिन अतिरिक्त काम करना."
मृत्यु के परे कलाम
कुछ ही विरले लोग अपने विचारों के जरिए जीवंत रहते हैं. कलाम भी ऐसे ही हैं. अपने विचारों के जरिए वो भावी पीढ़ियों के बीच हमेशा मौजूद रहेंगे.