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दोगुनी तेजी से गर्म होता पश्चिमी अंटार्कटिका

२४ दिसम्बर २०१२

पश्चिमी अंटार्कटिका जितना माना गया था उसकी दोगुनी रफ्तार से गर्म हो रहा है. इस जानकारी ने यह चिंता बढ़ा दी है कि सैंन फ्रांसिस्को से शंघाई तक सागर में पानी का स्तर और बढ़ेगा, जो जमीन को डुबो देगा.

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तस्वीर: International Polar Foundation

रविवार को जारी एक रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि अंटार्कटिका के बार्ड रिसर्च स्टेशन में सालाना औसत तापमान 1950 के दशक के बाद से अब तक 2.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है. इस बढ़ोत्तरी के साथ यह धरती पर सबसे तेजी से बढ़ते तापमान वाला इलाका बन गया है. रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर के पर्यावरण में बदलाव के औसत की तुलना में अंटार्कटिका में तापमान तीन गुना ज्यादा प्रभावित हुआ है. तापमान में यह इजाफा इंसानी गतिविधियों के कारण है.

अप्रत्याशित रूप से इस बड़े इजाफे ने बर्फ की तहों के पिघलने का डर बढ़ा दिया है. पश्चिमी अंटार्कटिका में इतनी बर्फ है कि अगर कभी सारी पिघल जाए तो समुद्र का जल स्तर 3.3 मीटर बढ़ जाएगा. हालांकि इस पूरे बर्फ को पिघलने में कई सदियां लगेंगीं. रिसर्च करने वाली ओहायो यूनिवर्सिटी ने बयान जारी कर कहा है, "बर्फ की पट्टी का पश्चिमी हिस्सा जितना पहले सोचा गया था उसकी दोगुनी गर्मी झेल रहा है." गर्मियों में जब तापमान बढ़ता है तो अंटार्कटिका में बर्फ की चादर पिघलती है. यह हालत तब है जबकि पूरे साल अंटार्कटिका के ज्यादातर हिस्से का तापमान बेहद ठंडा रहता है.

Flash - Galerie Gletscherschmelze Grönland
तस्वीर: AP

समुद्री जलस्तर के हिसाब से निचले माने जाने वाले बांग्लादेश से लेकर तुवालु तक के देश के लिए समुद्र में पानी का स्तर बढ़ने का मतलब खतरा है. पिछली सदी में समुद्र का जलस्तर करीब 20 सेंटीमीटर बढ़ा है. संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण जानकारों के पैनल ने अनुमान लगाया है कि अगर ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ पिघली तो इस सदी में समुद्र का तल 18-59 सेंटीमीटर तक बढ़ेगा.

ग्लेशियर

उत्तरी गोलार्ध के हिस्से भी इसी तेज रफ्तार से गर्म हुए हैं. अंटार्कटिक प्रायद्वीप में किनारों पर मौजूद कई हिमखंड हाल के वर्षों में टूट कर पिघल गए हैं. एक बार यह हिमखंड पिघल जाएं तो उनके पीछे ग्लेशियर भी समुद्र में आ मिलते हैं और फिर पानी का स्तर बढ़ जाता है. पश्चिमी अंटार्कटिका के लिए पाइन आइलैंड ग्लेशियार उतना ही पानी समुद्र में लेकर आता है जितनी की यूरोप की राइन नदी लेकर आती है.

Antarktisstation Princess Elisabeth Antarctica
तस्वीर: International Polar Foundation

वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी अंटार्कटिका में बड़े स्तर पर सतह के पिघलने का एक उदाहरण 2005 में सामने आया था. गर्मियों में बढ़ता तापमान इस तरह से सतहों के बार बार और बड़े स्तर पर पिघलने की घटनाएं दोहरा सकता है. पश्चिमी अंटार्कटिका हर साल समुद्र के जलस्तर में 0.3 मिलीमीटर इजाफा कर रहा है. यह ग्रीनलैंड के 0.7 मिलीमीटर की तुलना में कम है. विशाल पूर्वी अंटार्कटिक की बर्फ की चादर अभी पिघलने के खतरे से दूर है.

कंप्यूटर सिम्युलेशन की मदद से वैज्ञानिकों ने बायर्ड पर तापमान के उतार चढ़ाव के रिकॉर्ड का ब्योरा तैयार किया है जो 1958 तक जाता है. हालांकि इनमें से करीब एक तिहाई आंकड़े गायब हैं.

एनआर/ओएसजे(रॉयटर्स)

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