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दो परमाणु बम हमलों के प्रत्यक्षदर्शी की मौत

६ जनवरी २०१०

जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर परमाणु बम हमले की विभीषिका झेलने वाले और हमलों में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति त्सुतोमु यामागुची की मौत हो गई है. यामागुची 93 साल के थे और पेट के कैंसर से पीड़ित थे.

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हिरोशिमा और नागासाकी में हुए हमलों में जीवित बचे यामागुचीतस्वीर: AP

अधिकारिक रूप से माना जाता है कि त्सुतोमु यामागुची ने हिरोशिमा और नागासाकी, दोनों शहरों पर हुए परमाणु बम हमले को झेला था. यामागुची मित्सुबीशी हेवी इंडस्ट्रीज़ कंपनी के लिए नागासाकी में काम करते थे और हिरोशिमा काम के सिलसिले में आए थे.

60 Jahre Danach - Bildergalerie - Hiroshima 02/20
तस्वीर: dpa

उसी दौरान हिरोशिमा पर अमेरिका ने पहला परमाणु बम गिराया था. जहां बम गिरा यामागुची उस स्थान से क़रीब 2 किलोमीटर दूर थे. इस हमले में यामागुची की बांह बुरी तरह झुलस गई थी. कठिन घड़ी में संबल पाने के लिए यामागुची दो दिन बाद ही नागासाकी लौट आए लेकिन यहां भी दुर्भाग्य उनका इंतज़ार कर रहा था.

9 अगस्त को नागासाकी भी परमाणु बम हमले का गवाह बना. नागासाकी में जहां बम गिरा यामागुची उस स्थान से क़रीब 3 किलोमीटर दूर थे और हिरोशिमा की तबाही का मंज़र बयान कर रहे थे. लेकिन परमाणु बम ने उनका नागासाकी तक पीछा किया. यामागुची ने एक बार कहा भी था कि उन्हें ऐसा लग रहा था मानो मशरूम का बादल उनका पीछा कर रहा है.

यामागुची ने लंबे समय तक अपने इस दुस्वपन के बारे में खुल कर बात नहीं की और 2005 में ही सार्वजनिक मंचों पर अपनी यादें बांटनी शुरू की. 2006 में यामागुची और उन सात लोगों पर एक डोक्यूमेंट्री फ़िल्म बनी थी जो अलग अलग परमाणु बम हमले में जीवित बच गए थे. इस फ़िल्म को न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में दिखाया गया और यामागुची ने लोगों को संबोधित भी किया था.

पिछले साल नागासाकी शहर प्रशासन ने स्वीकार किया था कि यामागुची हिरोशिमा बम हमले में भी जीवित बचे थे. उसके बाद से अधिकारिक तौर पर यामागुची को दो परमाणु बम हमलों में जीवित बचा एकमात्र व्यक्ति घोषित किया गया था.

6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था जिसमें 140,000 लोगों की मौत हो गई थी. नागासाकी में परमाणु बम हमला 9 अगस्त 1945 को हुआ था जिसने 74,000 लोगों की जानें ली थी. इसके अलावा हज़ारों लोग रेडियोएक्टिव विकिरण के दुष्प्रभावों से होने वाले बीमारियों के शिकार रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ एस गौड़

संपादन: आभा मोंढे