1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

देह बेचने वालों को 'संगिनी' का इंतजार

३० दिसम्बर २०१७

भारत में यौनकर्मियों का पहला बैंक आर्थिक दिक्कतों के कारण बंद हो गया है. छोटे से बैंक ने यौनकर्मियों की पहाड़ सी जिंदगी में उम्मीदों की सीढ़ी लगा दी थी. वे अब भी बैंक के खुलने के इंतजार में हैं.

https://p.dw.com/p/2q6nu
Indien Mumbai Bordelle
तस्वीर: Thomson Reuters Foundation/R. Srivastava

मुंबई में कमाथीपुरा की धूलभरी सड़कों पर फातिमा आदमियों से 20 रुपये अपने कोठों के कमरे के किराये के रूप वसूलती है. इन कमरों में लड़कियां 200 रूपये लेकर सेक्स करती हैं. पिछले महीने तक फातिमा इन लड़कियों से हर थोड़े थोड़े दिन पर अपनी कमाई एक बैंक में जमा करने को कहती थी जो यहां से कुछ ही दूर है. इस बैंक में पांच रूपये की रकम भी जमा हो जाती थी और बैंक वाले कोई कागज या पहचान पत्र भी नहीं मांगते. बस एक फोटो ही काफी था. 

10 साल तक चलने के बाद पिछले महीने यह बैंक आर्थिक मुश्किलों के कारण बंद हो गया. संगिनी वीमेंस कॉपरेटिव सोसायटी बैंक बंद हो गया और इसके ग्राहकों को सारी जमा पूंजी लौटा दी गई. यौनकर्मियों के लिए यह बैंक उन्हीं में से कुछ स्वयंसेवक चलाते थे.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में फातिमा ने बताया, "अब वे अपने पैसे कभी कमरों में छिपाती हैं, तो कभी तकिये में रख कर सिल देती हैं. मैं लड़कियों से घर भेजने के लिए पैसा बचाने को कहती थी. ये देश के सभी हिस्सों आई हैं. इनका परिवार गरीब है."

Indien Mumbai Bordelle
तस्वीर: Thomson Reuters Foundation/R. Srivastava

संगिनी भारत का पहला बैंक था जो यौनकर्मियों की मदद के लिए खोला गया. मकसद था यौनकर्मियों को कुछ अलग भविष्य के लिए तैयार करना. यह कॉपरेटिव बैंक 2007 में कमाथीपुरा से शुरू किया गया जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा रेडलाइट इलाका है. यहां यौनकर्मियों को बिना परेशानी के बैंकिंग सेवा मिलती थी. बैंक वाले उनके घर जा कर भी नगदी जमा कर लेते थे और बेघर लड़कियां भी बचत खाता खोल सकती थीं.

महाराष्ट्र की राजधानी कई सालों से तस्करी के जरिए लाई लड़कियों का सबसे बड़ा ठिकाना है. इन्हें नौकरी का झांसा देकर यहां लाया जाता है और देह व्यापार या फिर घरों में काम करने के लिए बेच दिया जाता है. देह व्यापार में लड़कियों के दिन बड़ी गरीबी में गुजरते हैं. अकसर शुरू के कुछ सालों में उनके पास पैसा नहीं या बहुत कम होता है, ऐसे में जब उनके लिए बैंक खुला तो इससे बड़ी उम्मीद जगी.

इस प्रोजेक्ट को शुरुआत में आर्थिक मदद देने वाले अमेरिकी संगठन पॉपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल की पूर्व राष्ट्रीय संयोजक शिल्फा मर्चेंट कहती हैं, "जब हमने शुरुआत की तो हमें डर था कि कोठे की मालकिन और दलाल इसे चलने नहीं देंगे. हमने पहले साल सिर्फ 100 खाते खोलने का लक्ष्य रखा. लेकिन पहले ही दिन हमने 100 से ज्यादा खाते खोले."

Indien Mumbai Bordelle
तस्वीर: Thomson Reuters Foundation/R. Srivastava

जल्दी ही सेक्सवर्कर खुद बैंक के साथ स्वयंसेवक के रूप में जुड़ने लगे और कलेक्शन एजेंट बन कर कोठों में जा कर पैसा जमा करने और उन्हें रसीद देने जैसे काम करने लगे. बैंक जब बंद हुआ तब उसमें 5000 खाते चल रहे थे. मर्चेंट ने कहा, "कुछ यौनकर्मियों ने अपने बच्चों की शादियां की, कुछ ने यह काम छोड़ कर दुकान खोल ली. हमने सबका दस्तावेज रखा है. बैंक ने उन्हें रोजी रोटी का एक विकल्प दे रहा था."

अनुसूया का जन्म देवदासी प्रथा में हुआ. इस प्रथा को मानने वाले लड़कियों को धर्म के नाम पर देह व्यापार में उतार देते हैं. अनुसूया संगिनी में खाता खोलने वाले शुरुआती यौनकर्मियों में थी. उसने 1000 रुपये से खाता खोला. अनुसूया ने रॉयटर्स से कहा, "उसके बाद मैं नियमित रूप से उसमें पैसे डालने लगी. मैंने बैंक के लिए काम भी किया. मैंने पैसे बचा कर कुछ साल पहले अपने लिए एक छोटा सा रूम खरीद लिया. अब मैं वहीं रहती हूं."

बैंक के लिए काम करने वाली सविता ताड़के बताती हैं कि देह व्यापार करने वाली औरतें अकसर उनसे पूछती हैं कि बैंक कब खुलेगा. उन्होंने कहा, "यहां की औरतों के पास जगह नहीं है. उनके पैसे और कभी कभी कपड़े भी दलाल और ग्राहक चुरा लेते है."

शुरुआत में संगिनी को पीएसआई ने मदद दी लेकिन 2009 में उन्होंने उससे हाथ खींच लिए. उसके बाद से मुश्किल होने लगी. इसके बाद इंडिया 800 फाउंडेशन ने मदद दी. तीन साल बाद यह संस्थान भी मुश्किलों में घिर गया जिससे उसके काम पर असर पड़ा. संगिनी के ट्रेस्टी नारायण हेगड़े बताते हैं, "हम खाताधारकों को 3 फीसदी ब्याज देते थे. हम उनके पैसे को राष्ट्रीय बैंकों में जमा कर देते जो हमें 5 फीसदी ब्याज देते थे." हेगड़े ने कहा, "2 फीसदी के फायदे से बैंक चलाना असंभव हो गया. जब हमने बैंक बंद किया तो हम पर 40 लाख रुपये का कर्ज था. हमें कोई सहयोग नहीं मिला. जैसे ही हम सेक्सवर्कर की बात करते थे लोग हमसे दूर हो जाते. किसी की इसमें दिलचस्पी नहीं है. मैं अभी भी कहता हूं कि अगर हमें 10 लाख रुपये मिल जाएं तो हम बैंक चला सकते हैं. हमारे पास बैंक चलाने का कौशल है पर पैसे नहीं हैं."

एनआर/एके (रॉयटर्स)