1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

देश में विदेशी विश्वविद्यालय बिल को हरी झंडी

१६ मार्च २०१०

शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में क़दम बढ़ाते हुए सरकार ने विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस खेलने की अनुमति दे दी है. इस संबंध में कैबिनेट ने एक विधेयक को मंज़ूरी दे दी है और अब इसे संसद में लाया जाएगा.

https://p.dw.com/p/MTsj
विदेशी यूनिवर्सिटी को कैंपस खोलने की इजाज़ततस्वीर: Touro College Berlin

अगर यह बिल संसद से भी मंज़ूर हो जाता है तो हार्वर्ड, येल और ऑक्सफ़र्ड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की शाखाएं भारत में खुल सकेंगी और छात्रों को भारत में ही विदेशी डिग्रीयां मिल सकेंगी. हालांकि कई भारतीय शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों से विदेशी यूनिवर्सिटी पहले से ही टाइ अप करती रही हैं. कई विदेशी यूनिवर्सिटी भारतीय संस्थानों के साथ साझेदारी के ज़रिए पाठ्यक्रम उपलब्ध करा रही हैं लेकिन उन्हें विदेशी डिग्री देने की इजाज़त नहीं है.

St Johns College in Cambridge
कैंब्रिज यूनिवर्सिटीतस्वीर: picture-alliance / dpa

मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, "यह छात्रों को चयन की सुविधा देगा, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा और गुणवत्ता सुधारेगा." कपिल सिब्बल का कहना है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था में दूरसंचार क्षेत्र से भी बड़ी क्रांति की ज़रूरत है. इस बिल में विदेशी संस्थानों के भारत में कैंपस खोलने और अपनी गतिवधियां संचालित करने के नियमों को स्पष्ट किया गया है.

यह बिल पिछले चार साल से मंज़ूरी के इंतज़ार में लटका था क्योंकि कई मुद्दों पर वामपंथी पार्टियों सहित अन्य हलकों से इसका विरोध हो रहा था. विरोध कर रहे लोगों का कहना था कि इस बिल से देश के अमीर वर्ग को फ़ायदा होगा और सरकार को ग़रीब लोगों के लिए शिक्षा की सुविधा देने के लिए प्रयास करने चाहिए.

सरकार का कहना है कि वंचितों के लिए आरक्षण क़ानून उन विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए मान्य नहीं होगा जो भारत में कैंपस खोलना चाह रही हैं. हर साल भारत से हज़ारों छात्र विदेशी डिग्री के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर सहित कई अन्य देशों का रुख़ करते हैं. सरकार के मुताबिक़ भारत में उच्च शिक्षा का स्तर और दायरा बढ़ाने के लिए यह पहल की जा रही है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: एम गोपालकृष्णन