हथकड़ी नहीं लगी
१९ दिसम्बर २०१३भरारा ने न्यू यॉर्क में एक विशेष बयान जारी किया, जिसमें भारतीय राजनयिक की गिरफ्तारी से जुड़े मामले के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई और कहा गया कि हिरासत के दौरान देवयानी खोबरागड़े को "कॉफी दी गई, खाने के लिए पूछा गया और उन्हें फोन करने की भी इजाजत दी गई." भरारा का दावा है कि आम तौर पर ये सुविधाएं अमेरिकी नागरिकों को भी नहीं दी जाती हैं.
पिछले हफ्ते खोबरागड़े को उस वक्त गिरफ्तार किया गया, जब वह अपने बच्चों को स्कूल पहुंचाने गई थीं. भरारा ने इन बातों का खंडन किया कि देवयानी को हथकड़ी लगाई गई, या उन्हें बच्चों के सामने गिरफ्तार किया गया. बच्चों की आया को करार से कम वेतन देने की आरोपी खोबरागड़े ने खुद को बेकसूर बताया है. भरारा ने कहा, "एजेंटों ने उन्हें जितना संभव था, गैर सार्वजनिक तरीके से गिरफ्तार किया. और उनके साथ दूसरे आरोपियों की तरह बर्ताव नहीं किया गया. उन्हें हथकड़ी भी नहीं लगाई गई."
हालांकि अमेरिका ने इस बात को माना है कि खोबरागड़े के कपड़े उतार कर तलाशी ली गई. भरारा ने कहा कि एक महिला मार्शल ने अमेरिका के सामान्य सुरक्षा नियमों के तहत "खोबरागड़े के शरीर की तलाशी" ली.
खोबरागड़े का तबादला
हालांकि भारत ने इस घटना के बाद खोबरागड़े को न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मिशन में भेज दिया है लेकिन यूएन का कहना है कि उन्हें अभी इसके लिए अर्जी नहीं मिली है. भारत में इस घटना के बाद उपजे जनाक्रोश के बीच भरारा ने अपने मामले की सफाई दी है, "यह ताज्जुब की बात ही होगी कि अगर कोई सरकार अपनी कार्रवाई को सही साबित न करे, खास तौर पर अगर कोई गलत दस्तावेज देता है. इस बात पर भी ताज्जुब है कि कोई इसे इतना बड़ा मुद्दा क्यों बना रहा है. जबकि पीड़ित महिला के बारे में कोई नहीं कह रहा है."
अगर खोबरागड़े पर आरोप साबित होते हैं, तो उन्हें वीजा में धोखाधड़ी के लिए 10 साल और गलत घोषणापत्र देने के लिए पांच साल तक की जेल हो सकती है. यानी कुल 15 साल तक की जेल. देवयानी का कहना है कि उन्हें पूर्ण राजनयिक छूट है, जबकि अमेरिका का कहना है कि उन्हें सीमित छूट है. भारतीय वाणिज्य दूत के प्रवक्ता वेंकटसामी पेरुमल ने बताया कि बुधवार को देवयानी खोबरागड़े को संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मिशन में स्थानांतरित कर दिया गया, हालांकि इससे ज्यादा जानकारी उन्होंने नहीं दी.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मेरी हार्फ ने कहा है कि जब इस तरह के ट्रांसफर की अर्जी आती है, तो संयुक्त राष्ट्र इस मामले में अमेरिकी विदेश मंत्रालय से राय लेता है और दोनों की रजामंदी पर ही ट्रांसफर पक्का होता है.
आया पर आरोप
इस बीच, वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास ने एक लिखित बयान में कहा है कि खोबरागड़े की आया संगीता रिचर्ड उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रही थी. बयान में बताया गया है कि रिचर्ड अपने पासपोर्ट और वीजा का स्टेटस बदलने की मांग कर रही थी, ताकि वह कहीं और काम कर सके. भरारा का कहना है कि रिचर्ड के परिवार को अमेरिका बुला लिया गया है, ताकि भारत संगीता रिचर्ड पर किसी तरह का दबाव न बनाए, जिससे मामले पर असर पड़ सकता है.
उधर, भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी राजनयिकों के एयरपोर्ट पास वापस ले लिए हैं. इस पास के जरिए हवाई अड्डों पर जांच की काफी छूट मिल जाती है.
एजेए/एमजे (रॉयटर्स, पीटीआई, एपी)