दुनिया की किताबों का सबसे बड़ा मेला
हर साल दुनिया भर की किताबों का सबसे बड़ा मेला सजता है जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में. पांच दिन के मेले के लिए धरती के कोने कोने से प्रकाशक पहुंचते हैं अपनी किताबें लेकर.
फ्रैंकफर्ट के मेले में दुनिया भर के प्रकाशक आते हैं. पांच दिन के मेले में हजारों प्रकाशक यहां के विशाल प्रदर्शनी हॉल में अपने अपने स्टॉल सजाते हैं.
इन प्रकाशकों का मकसद है किताब में दिलचस्पी रखने वाले दुनिया के लोगों और दूसरे प्रकाशकों को बताना कि वे क्या कर रहे हैं और क्या कर सकते हैं.
बीते सालों में फ्रैंकफर्ट मेले ने अपने गौरव के मुताबिक अपना दायरा भी बढ़ाया है और शायद ही कोई बड़ा प्रकाशक होगा जो इस मेले तक नहीं पहुंचा.
किताबों के विषय तो अनंत हैं और कोशिश होती है कि सबको कहीं न कहीं कोई जगह जरूर मिल जाये. खुद से प्रकाशन और प्रकाशन की तकनीकों पर भी चर्चा यहां खूब होती है.
फ्रैंकफर्ट बुक फेयर वैसे तो कारोबारियों का समागम है लेकिन आम लोग भी यहां खूब आते हैं. किताबें खुदरा नहीं बिकती लेकिन लोग किताबों और लेखकों से मिलने के मौके निकालते हैं.
लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने वाली कई चीजें भी यहां नजर आती हैं. कॉसप्लेयर उन्हीं में से एक है. छुट्टी के दिन लोग रंग बिरंगे परिधानों में सजकर इस मेले का मजा लेने पहुंचे.
एक दशक पहले भारत फ्रैंकफर्ट किताब मेले का विशेष अतिथि देश था लेकिन उसके बहुत पहले से ही यहां भारतीय प्रकाशक पहुंचते रहे हैं. अब यह संबंध और गहरा हो गया है.
तकनीक, बच्चों की शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी किताबों का बाजार काफी बड़ा है और भारत के प्रकाशकों ने इसमें अच्छी सफलता पायी है. किताबों के बड़े खरीदार भी इन मेलों में आते हैं.
इस साल 72 प्रकाशकों ने इस मेले में अपने स्टॉल लगाये. सिर्फ दिल्ली ही नहीं भारत के दूसरे शहरों से भी प्रकाशक यहां पहुंचे हैं. दूसरे देशों के प्रकाशकों से साझेदारी पर इनकी नजर रहती है.
पाठकों के लिहाज से बड़ा होने के साथ ही भारत प्रकाशन की दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा नाम है और विदेशी कंपनियां भारत की प्रकाशन सुविधाओँ का फायदा उठाने के लिए ही वहां जा रही हैं.
सिर्फ किताबें ही नहीं बदलते दौर के अलग अलग ट्रेंड के साथ ही इतिहास से लेकर भविष्य तक की बातें यहां के किताबों में नजर आती हैं. फेकन्यूज की चिंता यहां भी दिखायी पड़ी.