दबाव के चलते ट्रंप ने विवादित नीति वापस ली
२१ जून २०१८बिना दस्तावेजों के अमेरिका आने वाले आप्रवासी परिवारों को हिरासत केंद्रों में रखा जाता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों के चलते ऐसे परिवारों के बच्चों को माता-पिता से अलग केंद्रों में रखा जा रहा था. इस नीति की अमेरिका के भीतर और दुनिया भर में कड़ी निंदा हुई. डिटेंशन सेंटरों से ऐसे कई वीडियो आए जिनमें बिलखते बच्चों को उनके मां बाप से अलग किया जा रहा था. बच्चे भी रो रहे थे और मां बाप भी. इन दृश्यों ने जनमानस में ट्रंप की नीतियों के प्रति आक्रोश जगाया. चारों तरफ से बढ़ते दबाव के बीच ट्रंप को आखिरकार यह फैसला वापस लेना पड़ा.
बुधवार को राष्ट्रपति ने आप्रवासी परिवारों को अलग न करने का वचन देने वाला एक्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया. इस आदेश के तहत अब अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचने वाले परिवारों के बच्चों को अलग नहीं किया जाएगा. लेकिन जिन बच्चों को इस आदेश से पहले ही परिवारों से अलग किया जा चुका है, उन्हें इस ऑर्डर से राहत नहीं मिलेगी. अमेरिकी इमीग्रेशन अधिकारियों के मुताबिक पांच मई 2018 से 9 जून 2018 के बीच 2,342 बच्चों को उनके परिवारों से अलग किया गया.
एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत करने के बाद ट्रंप ने कहा, "यह परिवारों को साथ रखने के लिए है. मुझे परिवारों को अलग अलग करने का दृश्य पंसद नहीं आया." लेकिन ट्रंप ने एक बार फिर कहा कि उनका प्रशासन अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल होने वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने में कोई रियायत नहीं देगा.
नए आदेश के तहत कानूनी कार्रवाई पूरी होने तक हिरासत में रखे गए आप्रवासियों को उनके परिवार के साथ रखा जाएगा. ट्रंप के मुताबिक उनकी पत्नी मेलानिया और बेटी इवांका ट्रंप ने उन पर इस पुरानी नीति को रद्द करने का दबाव बनाया.
आप्रवासियों से जुड़ी नीति पर यू टर्न लेने से पहले ट्रंप ने कहा था कि "आप यह काम एक्जीक्यूटिव ऑर्डर से नहीं कर सकते." राष्ट्रपति के मुताबिक अमेरिकी संसद आप्रवासन सुधारों से जुड़ी नीतियों को पास कर ऐसा आसानी से कर सकती है. ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के नेता पॉल रायन ने कहा कि संसद सदस्य गुरुवार को परिवारों को साथ रखने वाले विधेयक पर मतदान करेंगे.
(अच्छे जीवन के लिए दुनिया में भागदौड़ मची हुई है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया के तकरीबन 24.4 करोड़ लोग अब उन देशों में नहीं रहते जहां वे पैदा हुए थे. साथ ही करीब 2.3 करोड़ लोग अपना देश छोड़ने की तैयारी में हैं. )
ओएसजे/एमजे (एपी, एएफपी)