बाढ़ से पानी पानी हुआ दक्षिण एशिया
मानसून की बाढ़ से दक्षिण एशिया में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. बाढ़ के कारण बीमारी, भूख और डूबने से और सैकड़ों लोगों की जान जाने का अंदेशा है. अब तक 400 से अधिक लोगों की जान गई है जिसमें 239 भारत के हैं.
नेपाल, बांग्लादेश, भारत
इन तीनों देशों में बाढ़ के संकट ने गंभीर रूप ले लिया है. नेपाल के 128 तो बांग्लादेश के 39 लोगों की मौत हुई है. भारत में केवल बिहार और असम से ही 168 लोगों की मौत हुई है. मौसम विभाग आने वाले दिनों के लिए भी भारी बरसात की चेतावनी दे रहा है.
पहाड़ी देश में पानी ही पानी
नेपाल ने बाढ़ की भारी विभीषिका झेली है. इस पहाड़ी देश के कई इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं. देश के एक करोड़ से ज्यादा लोगों को बाढ़ के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. कई इलाकों में हैलिकॉप्टर के जरिये खाना और पीने का पानी पहुंचाया जा रहा है.
स्थिति में थोड़ा सुधार
नेपाल में हालात थोड़े से बेहतर हुए हैं. नेपाल के अधिकारियों का कहना है कि अब और लोगों के मरने की खबर नहीं आ रही है. हालांकि वहां से उत्तर भारत के इलाकों में आ रहे बाढ़ के पानी ने उत्तर प्रदेश और बिहार के कई इलाकों में स्थिति बिगाड़ दी है.
उत्तर प्रदेश में संकट गहराया
उत्तर प्रदेश के 2013 से ज्यादा गांव बाढ़ में डूबे हैं और वहां रहने वालों को अपना घर छोड़ कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यहां अब तक 36 लोगों की जान गई है. राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, 14 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. राप्ती, घाघरा और सरयू नदियां उफान पर हैं. शारदा, रोहिन और दूसरी नदियों में भी पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है.
बिहार की हालत भी खराब
बिहार में 500 से ज्यादा सेना के जवानों ने हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है. राज्य के 14 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. सेना के हैलिकॉप्टरों से खाने के पैकेट और दूसरी जरूरी चीजें गिरायी जा रही हैं. करीब 3 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है.
असम की व्यथा
भारत का उत्तर पूर्वी राज्य असम तो लगातार बाढ़ का संकट झेल रहा है. असम के 3,000 गांवों में बाढ़ का पानी भरा है. यहां से राज्य सरकार के बनाए राहत शिविरों में 2 लाख से ज्यादा लोगों ने शरण ले रखी है.
स्कूल बन गये शिविर
बाढ़ से बचने के लिए कई स्कूलों को अस्थायी शिविरों में तब्दील कर दिया गया है. बिहार के बा़ढ़ प्रभावित जिलों के स्कूलो में भी छुट्टी कर दी गई है.
जुगाड़ से नदी पार
कई जगहों पर लोगों तक राहत पहुंचे में देरी हुई तो उन्होंने खुद से नाव बना कर नदी को पार कर लिया.
सबकुछ पीछे छूटा
घर बार, माल मवेशी सब छोड़ कर भाग गये हैं लोग अपनी जान बचाने की खातिर. इस तस्वीर में दिख रहे घर का मालिक अपने मवेशियो को छोड़ कर चला गया है. पालतू जानवर खुद अपनी जान बचाने में जुटे हैं.
राहत देने में जुटी एजेंसियां
आपदा प्रबंधन के लोग दिन रात मेहनत कर लोगों को अलग अलग तरीके से सुरक्षित ठिकानों की ओर ले जा रहे हैं. उनके सामने सबसे पहली चुनौती लोगों की जान बचाने की है.
मछली का शिकार
असम के बाढ़ प्रभावित मोरिगांव जिले के एक गांव में ये शख्स बाढ़ के पानी में मछली पकड़ने की कोशिश में है.
चल चल मेरे हाथी
बाढ़ के संकट में एक दूसरे का साथ कुछ मुश्किलें आसान कर रहा है. भारतीय राज्य असम में काजीरंगा पार्क के इस हाथी को महावत नहला रहा है.
घर में घुसा पानी
असम के नौगांव इलाके में घर में घुसे पानी को देखता एक शख्स.
संकट में मवेशी
बाढ़ का संकट मवेशियों और जंगली जानवरों के लिए भी बुरा वक्त लाया है. इंसानों के पास अपना पेट भरने को अनाज नहीं चारे का बंदोबस्त कैसे हो?
बाढ़ से बेहाल
बांग्लादेश मे कई हफ्तों से लोग बाढ़ की वजह से मुश्किलों में हैं. जिसे जो मिल रहा है उसी के सहारे अपना घर छोड कर निकल पड़ा है. बोट से सुरक्षित ठिकाने की ओर जाते लोग.
राहत की चुनौती
जगह जगह पर राहत शिविर बनाये गये हैं जहां से लोगों को जरूरी चीजें मुहैया कराई जा रही हैं. असम के एक शिविर से दवा लेती महिला.
गांव शहर हर तरफ पानी
कई शहरों के पक्के मकानों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है. लोग अपने घरों में एक तरह से कैद हो गये हैं.
बांग्लादेश जलमग्न
बांग्लादेश का करीब एक तिहाई हिस्सा बाढ़ की चपेट में है. बांग्लादेश की 18 प्रमुख नदियों में पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. 6 लाख से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है.
गंभीर समस्या
रेडक्रॉस के एशिया प्रशांत निदेशक मार्टिन फेलर का कहना है, "बहुत तेजी से यह इलाके में सबसे गंभीर मानवीय संकट के रूप में उभर रहा है जो कई सालों के बाद हुआ है. इस प्रलयंकारी बाढ़ से प्रभावित हुए करोड़ों लोगों को राहत देने के लिए जल्द ही कदम उठाये जाने की जरूरत है."