थाइलैंड में चुनाव का एलान
९ दिसम्बर २०१३प्रधानमंत्री यिंगलक शिनवात्रा को एक महीने से ज्यादा विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा, जो कभी कभी हिंसक हो उठा. प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया. उनका आरोप है कि प्रधानमंत्री अपने भाई थाकसिन शिनवात्रा के इशारे पर काम कर रही हैं.
रविवार को राजनीतिक गतिरोध उस वक्त बढ़ गया, जब विपक्षी नेताओं ने संसद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद स्थिति को संभालने की कोशिश में यिंगलक ने सोमवार को टेलीविजन संदेश दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि देश जल्द ही चुनाव होंगे. उन्होंने कहा, "सरकार नहीं चाहती है कि किसी की जान जाए." इस बात का अंदेशा बढ़ता जा रहा था कि विपक्षी नेताओं के इस्तीफे से उत्तेजित लोग दोबारा हिंसक आंदोलन कर सकते हैं.
हालांकि सरकार विरोधी इतने भर से संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है कि देश को शिनवात्रा परिवार से मुक्ति मिलनी चाहिए. सात साल पहले थाकसिन शिनवात्रा का तख्ता पलट दिया गया था, जिसके बाद से वह स्वनिर्वासन में रह रहे हैं. थाकसिन बड़े कारोबारी हैं. कुछ दिनों तक इंग्लैंड में रहने के बाद अब वह दुबई में रहते हैं. गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने थाइलैंड छोड़ दिया था. प्रदर्शनकारियों के नेता सुतेप थॉगसुबान ने कहा, "आंदोलन चलता रहेगा. हमारा उद्देश्य है कि हम थाकसिन के राज को खत्म करें." थाकसिन ने कभी अपनी बहन यिंगलक को अपना क्लोन बताया था. थाइलैंड में काफी लोगों का मानना है कि यिंगलक के नाम पर खुद थाकसिन राज चला रहे हैं.
लाल और पीली शर्ट
थाकसिन को जब 2006 में सत्ता से हटाया गया था, तो देश में लंबे वक्त तक विरोध प्रदर्शन हुए थे. सड़कों पर सम्राट समर्थक "पीली शर्ट" के लोग और थाकसिन समर्थक "लाल शर्ट" के लोगों के बीच कई बार झड़पें भी हुईं. राजा का समर्थन करने वाली देश की सेना थाकसिन के खिलाफ है.
थाकसिन का समर्थन करने वाली पार्टियों ने पिछले एक दशक में हर चुनाव में जीत हासिल की है, जबकि विपक्षी डेमोक्रैट पार्टी को संसद में कुछ नहीं मिल पाया है. इस पार्टी ने पिछले दो दशक में कभी बहुमत हासिल नहीं किया है और इसी पार्टी के सदस्यों ने रविवार को इस्तीफा दिया है.
डेमोक्रैट पार्टी के सदस्यों ने सोमवार को कहा कि अभी उन्होंने इस बात का फैसला नहीं किया है कि क्या वे अगले चुनाव में हिस्सा लेंगे. संसद भंग होने के 60 दिन के अंदर चुनाव कराने जरूरी हैं. चुनाव अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि मतदान दो फरवरी को हो सकते हैं.
चुनाव बगैर सत्ता!
बैंकॉक के सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान के निदेशक थितियान पोंगसुधीरक का कहना है, "सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी सरकार पर कब्जा करना चाहते हैं. वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं क्योंकि उन्हें कई बार हार का सामना करना पड़ा है." उन्होंने चेतावनी दी, "अगर विपक्ष कामयाब हो जाता है, तो देश में और मुश्किल हालात बन सकते हैं क्योंकि "लाल शर्ट" वाले सरकार समर्थक भी प्रदर्शन के लिए निकल आएंगे, जिनकी तरफ से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है." तीन साल पहले सेना की कार्रवाई में दर्जनों थाकसिन समर्थक मारे गए थे.
सड़क पर लाखों
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सोमवार दोपहर तक करीब डेढ़ लाख लोग सड़कों पर उतर आए. वे कई रास्तों से होते हुए सरकारी मुख्यालय की ओर बढ़े, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम कोई राजनीति नहीं चाहते हैं. कोई चुनाव नहीं चाहते हैं. सिर्फ प्रदर्शनकारियों को ही इस बात का हक होना चाहिए कि वे नई सरकार चुनें."
पिछले हफ्ते पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और रबर की गोलियां चलाईं. इस बार के आंदोलन में अब तक पांच लोगों की जान जा चुकी है.
एजेए/ओएसजे (एएफपी)