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तूतीकोरिन में पुलिस फायरिंग में 11 लोगों की मौत

२३ मई २०१८

तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वेदांता समूह के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल 11 प्रदर्शनकारियों की पुलिस फायरिंग में हुई मौत के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. प्रदर्शनकारी इसे जनसंहार का नाम दे रहे है.

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Indien Protest
तस्वीर: Reuters/P. Ravikumar

राज्य में पिछले एक महीने से वेदांता रिसोर्सेज कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था. लेकिन मंगलवार को इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया. स्थानीय मीडिया ने पुलिस सूत्रों के हवाले से कहा है कि प्लांट की तरफ बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को जब रोका गया तो भीड़ ने पथराव किया और पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया. जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग की और 11 लोगों की मौत हो गई.

यह प्रदर्शन वेदांता समूह की कंपनी स्टरलाइट को बंद करने की मांग को लेकर चल रहा था. कंपनी ने यहां चार लाख टन प्रतिवर्ष स्टरलाइट कॉपर परियोजना के विस्तार की घोषणा की थी जिसके खिलाफ स्थानीय निवासी पिछले कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे थे.  स्थानीय लोग कहते रहे हैं कि ये यूनिट पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती है. लेकिन पुलिस कार्रवाई के बाद अब इस मामले पर राजनीति तेज हो गई है. राज्य के मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. इस घटना में करीब 80 लोग घायल हुए हैं, जिनमें पत्रकार भी शामिल हैं.

राज्य में विपक्ष के नेता एमके स्टालिन ने इस घटना के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है. स्टालिन ने अपने ट्वीट में कहा, "मासूम लोगों को ऐसे मारना, किसने पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश दिए. भीड़ के ऊपर ऑटोमेटिक हथियारों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है. और कौन सा कानून इसकी अनुमति देता है?" विपक्षी दल डीएमके ने सभी दलों से इस घटना के खिलाफ 25 मई को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने ट्वीट में इस घटना की निंदा की. उन्होंने कहा, "ये मौतें राज्य प्रायोजित आतंकवाद का क्रूर उदाहरण हैं. इन नागरिकों की हत्या अन्याय के खिलाफ प्रदर्शन के चलते की गई हैं."

अभिनेता से राजनेता बने तमिल सुपर स्टार कमल हासन भी प्रदर्शनकारियों के समर्थन में सामने आए हैं. कमल हासन ने कहा, "हमें पता होना चाहिए कि किसने इस फायरिंग के आदेश दिए. यह मैं नहीं बल्कि पीड़ित पूछ रहे हैं. केवल मुआवजे की घोषणा करना समाधान नहीं है. यह इंडस्ट्री बंद होनी चाहिए और यही लोगों की मांग है"

इस बीच तमिलनाडु पुलिस का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. जिसमें पुलिस बल प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने को कह रहा है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस भेजा है. पुलिस के मुताबिक करीब 12 लोगों की जानें गई है. तूतीकोरिन के एसपी पी.महेंद्रन ने बताया, "इस घटना में करीब 18 पुलिस अधिकारी भी बुरी तरह घायल हुए है." उन्होंने कहा कि स्थिति नाजुक बनी हुई है लेकिन नियंत्रण में है.

आम लोगों में भी इस मामले के खिलाफ गुस्सा साफ नजर आ रहा है. आम लोग ट्वीट कर सवाल कर रहे हैं कि क्या तूतीकोरिन में सुरक्षा व्यवस्था वेदांता और कंपनी के चैयरमेन अनिल अग्रवाल के लिए बढ़ाई गई है. 

कुछ ट्वीट में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार पर भी निशाना साधा गया है.

एए/एमजे (एएफपी)