तुर्की ने की कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश
१ मई २०१७एर्दोवान ने कश्मीर के मुद्दे पर बहुपक्षीय बातचीत की वकालत की है जिसमें तुर्की भी शामिल हो. विओन टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में कही गई इस बात पर भारत को एतराज हो सकता है जो कश्मीर को पूरी तरह एक द्विपक्षीय मुद्दा समझता है.
कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के मद्देनजर एर्दोवान ने कहा, "हमें और लोगों की जानें नहीं जाने देनी चाहिए और बहुपक्षीय संवाद को मजबूत कर हम इसमें शामिल हो सकते हैं. मुझे लगता है कि बहुपक्षीय संवाद के जरिए हमें इस सवाल को हमेशा के लिए हल करने के रास्ते तलाशने होंगे, जिससे दोनों देशों को फायदा होगा.”
कश्मीर मुद्दे पर तुर्की पाकिस्तान के रुख का समर्थक समझा जाता है. राजनयिक हल्कों का कहना है कि एर्दोवान का ताजा बयान इसी बात की पुष्टि करता है. महीनों से कश्मीर में अशांति है. भारत इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार बताता है. वहीं पाकिस्तान का कहना है कि भारतीय सेना कश्मीर में लोगों की आजादी की मांग को ताकत के दम पर कुचलना चाहती है.
जब एर्दोवान से एनएसजी में भारत के प्रवेश की कोशिशों को रोके जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि तुर्की हमेशा इस बात के समर्थन में रहा है कि भारत को एनएसजी में शामिल किया जाए, लेकिन साथ ही पाकिस्तान को भी इसका हिस्सा बनाया जाए.
एर्दोवान ने उम्मीद जताई कि उनके भारत दौरे में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर बात होगी. उन्होंने कहा, "मैंने 2008 में प्रधानमंत्री के रूप में भारत का दौरा किया था. तब से भारत और मजबूत होकर उभरा है. सब उसका सम्मान करते हैं. तुर्की की बात भी दुनिया भर में आसानी से सुनी जाती है. मेरे दौरे से तुर्की-भारत संबंध और गहरे होंगे.”
एके/ओएसजे