तिपाईमुख बांध: बांग्लादेश की चिंताएं
७ अगस्त २००९प्रस्तावित तिपाईमुख बांध बांग्लादेश की सीमा से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर बनेगा.
हाल ही में तिपाईमुख परियोजना का ब्यौरा लेने एक बांगलादेशी संसदीय समिति ने मणिपुर में प्रस्तावित तिपाईमुख बांध का दौरा किया. संसदीय समिति के अध्यक्ष अब्दुल रज़्ज़ाक ने अपने दौरे के बारे में कहा, "हम वहां गए और वहां हमें किसी भी तरह का कोई ढांचा नहीं दिखा. फिलहाल भारत ने इसे बनाने के बारे में सोचा है. भारत अभी इस परियोजना से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव का भी अध्ययन कर रहा है"
रज़्ज़ाक ने गुरूवार को बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना से इस बारे में मुलाकात की और अपने दौरे के बारे में पूरी जानकारी भी दी. शेख हसीना ने बांगलादेशी जनता को आश्वासन देते हुए कहा कि तिपाइमुख परियोजना पर भारत द्वारा दी गई जानकारी को बारीकी से पढ़ा जाएगा और उस पर जल्द ही भारत से फिर बात की जाएगी.
विपक्षी पार्टी, बांग्लादेश नैशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व जल संसाधन मंत्री हाफिज़ उद्दीन अहमद का मानना है कि सरकार को भारत द्वारा दी गई जानकारी को जनता के सामने पेश करना चाहिए, वे कहते हैं कि "हमारी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत से इस बारे में जानकारी मांगी थी जो हमें कभी नहीं मिली. लेकिन अब अवामी लीग के संसदीय प्रतिनिधि मंडल को यह जानकारी दी गई है. मुझे लगता है कि इस जानकारी को बांग्लादेश की जनता के सामने पेश किया जाना चाहिए"
ढा़का स्थित पत्रकार दीप आज़ाद का मानना है कि बांग्लादेशी जनता को डर है कि तिपाइमुख परियोजना से भी फरक्का बांध की तरह बांग्लादेश पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. दीप कहते हैं, "जनता को और जानकारी चाहिए, उन्हें नहीं पता वहां क्या बनने जा रहा है. क्या वो कोई बांध है ? क्या वो कोई बैराज है ? क्या वो बांग्लादेश को बाढ़ से बचाएगा ? क्या वो बांग्लादेश की ओर बहने वाली बराक नदी के पानी को रोक देगा ?"
भारत ने 1974 में फरक्का का निर्माण किया था जिसके बाद बांग्लादेश की सरकार, ज़मीन ऊसर हो जाने, पानी प्रदूषित हो जाने की शिकायत भारत से करती रही है. फरक्का के अनुभव के कारण बांग्लादेश की जनता सरकार के रवैये से ज़्यादा खुश नहीं है.
रिपोर्ट- पुखराज चौधरी
संपादन- एस जोशी