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तालिबान की पनाहगाहें ख़त्म हों: गेट्स

२१ जनवरी २०१०

अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स ने पाकिस्तान से कहा है कि उसकी अफ़ग़ान सीमा के नज़दीक तालिबान की सुरक्षित पनाहगाहों को ख़त्म करना होगा, वरना दोनों देशों को और घातक और ख़तरनाक हमलों का सामना करना पड़ सकता है.

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पाकिस्तान दौरे पर गेट्सतस्वीर: AP

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के पदभार संभालने के बाद रॉबर्ट् गेट्स पहले पाकिस्तान दौरे पर इस्लामाबाद पहुंचे हैं. अमेरिकी आधिकारी साफ़ कर चुके हैं कि पाकिस्तान अपनी सीमा के अंदर काम करने वाले उन अफ़ग़ान तालिबान और अल क़ायदा तत्वों को भी निशाना बनाए जो उसके क़बायली इलाक़ों में रह कर अफ़ग़ानिस्तान में हमले कर रहे हैं.

गेट्स ने कहा कि वह पाकिस्तान से कहेंगे वह उत्तरी वज़ीरिस्तान तक अपनी सैन्य कार्रवाई का विस्तार करे जो हक्कानी नेटवर्क और अल क़ायदा का ठिकाना माना जाता है. यहीं से अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी और नेटो सैनिकों पर हमले होते हैं.  

गेट्स के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मैजर जनरल अतहर अब्बास ने कहा है कि मौजूदा सैन्य कार्रवाई में सिर्फ़ दक्षिणी वज़ीरिस्तान पर ही ध्यान है और वहां हालात को स्थिर बनाने के लिए छह महीने से एक साल का समय चाहिए. उन्होंने कहा कि दक्षिणी वज़ीरिस्तान में अभी 30 हज़ार सैनिक तैनात हैं और कोई दूसरा अभियान शुरू करने से पहले वहां स्थिति को पूरी तरह नियंत्रण में करना ज़रूरी है.

अब्बास ने इन आरोपों को ग़लत बताया है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के ख़िलाफ़ क़दम उठाने में सुस्त रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए ऐसी कोई जानकारी देने में नाकाम रही है जिस पर कोई कार्रवाई की जा सके.

पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार द न्यूज़ में संपादकीय पन्ने पर छपे अपने लेख में अमेरिकी रक्षा मंत्री ने लिखा है कि हिंसक चरमपंथी गुटों के बीच अंतर करने से आतंकवाद को मज़बूती मिलती है. उन्होंने कहा, "यह याद रखना ज़रूरी है कि पाकिस्तानी तालिबान अफ़ग़ान तालिबान और अल क़ायदा दोनों के साथ मिलकर काम करते हैं. इसलिए इन गुटों में अंतर कर पाना असंभव है."

अमेरिकी रक्षा मंत्री ऐसे समय में पाकिस्तान के दौरे पर गए हैं जब वहां आए दिन संदिग्ध अमेरिकी ड्रोन हमले हो रहे हैं. तालिबान के ठिकानों को निशाना बनाकर किए जाने वाले इस हमलों पर पाकिस्तान सरकार भी अपनी नाराज़गी जताती रही है. यही नहीं, इससे देश में अमेरिका विरोधी भावनाओं को भी हवा मिलती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा मोंढे