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ड्राई क्लीन से हो सकता है कैंसर

२ जुलाई २०१३

ड्राई क्लीन करवा के आप अपने महंगे कपड़ों से दाग तो हटवा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे, कहीं यह आपको कैंसर के करीब ना ले जाए.

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तस्वीर: Fotolia/W. Wang

फ्रांस में सरकार ने ड्राई क्लीन में इस्तेमाल होने वाले रसायन पर रोक लगा दी है. पेरक्लोरीथीलीन जिसे पर्क या टेट्राक्लोरो ईथीलीन भी कहा जाता है, ड्राई क्लीन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. पानी जैसे दिखने वाले इस रसायन को बस कपड़ों पर स्प्रे करने की जरूरत होती है और दाग धब्बे गायब हो जाते हैं. यह असरदार भी है और सस्ता भी. इसीलिए यूरोप में 95 फीसदी ड्राई क्लीनर इसी को काम में लेते हैं.

लेकिन यह रसायन बेहद जहरीला होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने इसे कैंसर के लिए जिम्मेदार रसायनों में ए2 की सूची में रखा है. ये उन चीजों की सूची है जो इंसानों में कैंसर पैदा करने के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं. इसी को देखते हुए फ्रांस सरकार ने एक नया नियम लागू किया है. 2020 तक सभी ड्राई क्लीनरों को इस से पूरी तरह छुटकारा पा लेने को कहा गया है. इसी तरह के कानून डेनमार्क और अमेरिका में भी लागू किए जा रहे हैं.

निकोला दे ब्रोनाक सरकार के इस फैसले से खुश हैं. वह भी ड्राई क्लीनिंग का ही काम करते हैं, लेकिन वह उन चुनिंदा लोगों में से हैं जिन्होंने फ्रांस में ग्रीन ड्राई क्लीनिंग को अपनाया है. उनकी कंपनी सीकोइया में पिछले चार साल से पर्क की जगह लिक्विड सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह भी देखने में पानी जैसा ही होता है. ना ही इसका कोई रंग होता है और ना ही गंध. इसे कॉस्मेटिक्स, शैम्पू और डियो में इस्तेमाल किया जाता है.

Sequoia Geschäft in Paris Reinigung Green Drycleaning
तस्वीर: Charlotta Lomas

अमेरिकी कंपनी ग्रीन अर्थ क्लीनिंग ने 1999 में इसे तैयार किया. यह ऐसा रसायन है जो भाप बन कर पानी और कार्बन डाई ऑक्साइड में बदल जाता है. इसे पर्क का सबसे अच्छा विकल्प माना जा रहा है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके इस्तेमाल में जल्दबाजी नहीं दिखानी चहिए. हालांकि इसे बाजार में आए 14 साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक इस पर पूरी तरह जरूरी टेस्ट नहीं किए गए हैं.

कनाडा और ब्रिटेन की सरकारों ने लिक्विड सिलिकॉन को पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाने वाला घोषित किया है, लेकिन दुनिया भर के वैज्ञानिक अभी इसे ले कर एकमत नहीं हो पाए हैं. यूरोप की केमिकल एजेंसी का दावा है कि यह शरीर में जमा हो सकता है, लेकिन ऐसा होने पर किस तरह के परिणाम सामने आएंगे, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है.(कपड़ों में जहर)

बहरहाल फ्रांस में पर्क पर लगी रोक के बाद देश भर में 4,800 ड्राई क्लीन मशीनें हटाई जाएंगी. इस से सभी ड्राई क्लीन कंपनियों पर असर पड़ेगा. मारी शौंतॉल पिछले 14 साल से इसी काम से जुड़ी हैं. सीकोइया पहली ऐसी कंपनी है जहां उन्होंने लिक्विड सिलिकॉन का इस्तेमाल होते हुए देखा. डॉयचे वेले से बातचीत में उन्होंने बताया, "पर्क अच्छी चीज नहीं है. क्योंकि यहां पर्क का इस्तेमाल नहीं होता, मैं यहां बेहतर महसूस करती हूं. पहले मेरे सर में बहुत दर्द हुआ करता था, अब नहीं होता".

मालिक निकोला दे ब्रोनाक कहना है कि ना केवल यह विकल्प सेहत और पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि किफायती भी है. वह बताते हैं कि एक लीटर लिक्विड सिलिकॉन चार यूरो यानी करीब 300 रुपये का आता है, जबकि पर्क इसकी आधी कीमत में ही उपलब्ध है. लेकिन इसे बार बार इस्तेमाल किया जा सकता है, "पर्क की तुलना में यह पांच गुना कम इस्तेमाल होता है क्योंकि हम इसे मशीन दर मशीन बार बार इस्तेमाल करते हैं".

इसके अलावा वह कपड़ों पर चढ़ाने के लिए ऐसा प्लास्टिक इस्तेमाल करते हैं जिसे रिसाइकल किया जा सकता है. साथ ही वह कपड़ों को टांगने वाले हैंगर भी रिसाइकल करते हैं. यहां तक कि बिजली बचाने के लिए साधारण बल्ब की जगह एलईडी का इस्तेमाल किया जाता है.

पिछले चार साल में निकोला के ग्राहकों की संख्या बड़ी है. उनका कहना है कि फिलहाल लोग इसलिए आ रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां कुछ नया, कुछ 'कूल' है, लेकिन वह अपने ग्राहकों को इसके फायदे समझाते हैं और उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ सालों में लोग समझ पाएंगे कि सरकार का फैसला उनके हक में ही लिया या था.

रिपोर्ट: लोमास शारलोटा/ आईबी

संपादन: आभा मोंढे

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