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समाज

डेनमार्क में भी नकाब पहनने पर बैन लगा

३१ मई २०१८

डेनमार्क की संसद ने सार्वजनिक स्थलों पर नकाब पर बैन लगा दिया है. आलोचक इसे 'इस्लाम से बढ़ते भय' का प्रतीक बता रहे हैं, वहीं इसके समर्थकों का कहना है कि इससे आप्रवासियों का एकीकरण बेहतर तरीके से होगा.

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Niederlande Demonstrantin trägt Burka in Den Haag
तस्वीर: Getty Images/AFP/E. Daniels

डेनमार्क की संसद ने उस कानून को पारित कर दिया जिसके मुताबिक सार्वजनिक स्थलों पर चेहरे को ढंकने वाले कपड़े पहनने पर प्रतिबंध होगा. कई यूरोपीय देश पहले ही इस तरह का प्रतिबंध लगा चुके हैं.

डेनमार्क की संसद में 30 के मुकाबले 70 मतों से पारित नए कानून के तहत पहली बार कानून का उल्लंघन करने पर एक हजार क्रोनर यानी लगभग 10.5 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा जबकि दोबारा उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर 10 हजार क्रोनर होगी या फिर छह महीने की सजा काटनी होगी.

यूरोप में इस्लामोफोबिया यानी इस्लाम से भय की समस्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में, बहुत से लोग मानते हैं कि इस कानून के जरिए मुसलमान महिलाओं को निशाना बनाया गया है, जो नकाब, बुर्का और इस तरह के अन्य इस्लामी कपड़े पहनती हैं.

बुर्का, हिजाब, नकाब: फर्क क्या है

मानवाधिकार संस्थान एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नए कानून को 'महिला अधिकारों का भेदभावपूर्ण उल्लंघन' बताया है. उसका कहना है कि सभी महिलाओं को अपनी मर्जी और धार्मिक पहचान के मुताबिक कपड़े पहनने की अनुमति होनी चाहिए.

डेनमार्क में नया कानून एक अगस्त से लागू होगा. न्याय मंत्री सोएरेन पापे पोल्सेन ने पुलिस अधिकारियों से कहा है कि इस कानून को लागू करते समय वे 'समझदारी से' काम लें.

पोल्सेन का कहना है, "मुझे नहीं पता कि डेनमार्क में कितनी महिलाएं इस तरह का नकाब पहनती हैं लेकिन अगर पहना तो आपको जुर्माना देने के लिए तैयार रहना चाहिए." 2010 की एक रिपोर्ट बताती है कि डेनमार्क में लगभग 200 महिलाएं इस तरह का नकाब पहनती हैं.

कानून के समर्थकों का कहना है कि इसके जरिए मुसलमान आप्रवासियों का डेनिश समाज में एकीकरण बेहतर तरीके से हो पाएगा. वहीं आलोचक इस बैन को 'बुर्का बैन' कह रहे हैं. उनका कहना है कि इस तरह के कानून यूरोप में इस्लाम से बढ़ते भय को दिखाते हैं.

ऑस्ट्रिया, बेल्जियम और फ्रांस में पहले से ही ऐसे कानून मौजूद हैं. जर्मनी और अन्य देशों में भी कुछ मामलों में नकाब पहनने की अनुमति नहीं है. हाल के समय में मध्य पूर्व और अफ्रीका से बड़ी संख्या में मुसलमान शरणार्थी यूरोप आए हैं.

एके/ओएसजे (एपी, एएफपी)

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