डांस से बिजली
१८ मार्च २०१०नीदरलैंड के रॉटरडाम में एक ऐसा ही क्लब है क्लब वॉट-जो युवाओं को डांस और मस्ती के साथ साथ सक्षम बना रहा है इस वक्त दुनिया के सबसे बड़े सिरदर्द, पर्यावरण परिवर्तन से लड़ने में. इस क्लब की सबसे मज़ेदार बात ये है कि यहां आप जितना नाचेंगे, यहां का इलेक्ट्रो केमिकल डांस फ्लोर उतनी ही बिजली पैदा करेगा. इसमें कुछ ऐसे सेंसर लगाए गए हैं कि इसपर जितना ज़्यादा दबाव पड़ेगा उतनी ही ज़्यादा बिजली बनेगी. फ्लोर में कुछ ऐसे बल्ब भी लगे हैं जो दबाव से जल उठते हैं. जितना ज़्यादा दबाव, उतना ही तेज़ जलता है ये बल्ब.
साथ ही इस पूरी तरह ईको फ्रेंडली क्लब में बाकी क्लबों से 30 प्रतिशत कम बिजली लगती है, क़रीब 50 प्रतिशत कम पानी का इस्तेमाल होता है. तो ये 50 फ़ीसदी कम कूड़ा और 30 प्रतिशत कम कार्बन डाय ऑक्साइड भी पैदा करता है ये क्लब.
तो हुआ ना सोने पे सुहागा. मनोरंजन और मस्ती के साथ साथ आपका भी योगदान हो गया पर्यावरण संरक्षण में.
क्लब मालिकों का मानना है कि जो लोग ख़ुद बिजली पैदा कर रहे हैं, वो उसे बर्बाद करने से पहले चार बार सोचते हैं. यही कारण है कि उन्होंने इस क्लब की शुरुआत की. सितंबर 2008 में इस क्लब की शुरुआत के बाद से कई और ऐसे ईको फ्रेंडली क्लब्स दुनियाभर में खोले गए हैं. बर्लिन के टेक्नो क्लब ने पिछले साल एक हाई वोल्टेज पार्टी का आयोजन भी किया था. पार्टी आयोजकों ने एक आयडिया निकाला था कि जितनी कार्बन डाय ऑक्साइड इस पार्टी के कारण पैदा हुई उसकी कुल मात्रा जितने पैसे पार्टी आयोजकों ने पर्यावरण संरक्षण में लगी एक संस्था को दान कर दिए.
इतना ही नहीं विकासशील देशों में भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ती जा रही है. अफ़्रीकी देश घाना के एक विश्विद्यालय ने भी ठान ली ख़ुद को अफ़्रीका की पहली ईको फ्रेंडली यूनिवर्सिटी बनाने की. यूनिवर्सिटी में हर जगह सोलर पैनल या सौर पट्टियां लगी हैं जो पूरे कैंपस की बिजली की खपत पूरी करती हैं. साथ ही बारिश के पानी का संचयन करने पर भी काम चल रहा है.
इस तरह के फ्लोर पर डांस करने वाला हर व्यक्ति कम से कम 10 वॉट बिजली बनाता है. है न मज़ेदार.
रिपोर्टः डॉयचे वेले/तनुश्री सचदेव
संपादनः आभा मोंढे