ट्रंप के यात्रा बैन के खिलाफ कोर्ट पहुंची टेक कंपनियां
२० अप्रैल २०१७ऐसी 160 से भी अधिक कंपनियां साथ आयी हैं, जिनमें से कई टेक्नोलॉजी सेक्टर से हैं. इन्होंने एक "फ्रेंड ऑफ द कोर्ट" नाम के पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के एक्जक्यूटिव ऑर्डर के खिलाफ मेरीलैंड के अपील कोर्ट में अपनी अपील दायर की है.
मार्च में राष्ट्रपति ट्रंप के उस एक्जक्यूटिव ऑर्डर पर फेडरल जजों ने रोक लगा दी थी, जिसमें उन्होंने छह मुस्लिम बहुल देशों से लोगों के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगाना चाहा था. इस आदेश के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें ईरान, लीबिया, सूडान, सीरिया और यमन के नागरिकों और शरणार्थियों पर अगले 90 दिनों तक प्रवेश की पाबंदी लगती.
कंपनियों की इस "एमिकस ब्रीफ" में याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि ट्रंप का यह आदेश न केवल धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला है बल्कि राष्ट्रपति के अधिकारों से बाहर की चीज है. उनका आरोप है कि राष्ट्रपति यह तय नहीं कर सकते कि कौन देश में प्रवेश कर सकता है. वकीलों की दलील है कि "दूसरा आदेश अमेरिका में प्रवेश करने के मूलभूत अधिकार के नियम से बिल्कुल अलग बात करता है. इससे अमेरिकी कंपनियों, उसके कर्मचारियों और पूरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा."
ट्रैवल बैन के नये आदेश के कारण प्रतिभाशाली विदेशी कर्मचारियों को अमेरिकी कंपनियों की ओर आकर्षित करना मुश्किल हो जाएगा और इससे कंपनियों का खर्च बहुत बढ़ जाएगा. इससे प्रतियोगी माहौल में वे पीछे रह जाएंगे और प्रतिभाशाली लोग उन देशों में चले जाएंगे, जहां प्रवासियों के लिए ज्यादा अच्छा माहौल है.
ट्रंप का मानना है कि ऐसे ट्रैवल बैन की सख्त जरूरत है ताकि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को पुख्ता बनाया जा सके और अतिवादियों को देश से बाहर रखा जा सके. जनवरी में जारी किए अपने पहले ट्रैवल बैन के आदेश में ट्रंप ने सात मुस्लिम-बहुल देशों के नागरिकों और शरणार्थियों पर रोक लगानी चाही थी. इसे वॉशिंगटन राज्य की एक अदालत ने रोक दिया और कहा कि यह अमेरिकी संविधान के धार्मिक भेदभाव ना करने के सिद्धांत के खिलाफ है. फिर ट्रंप प्रशासन ने इसमें सुधार कर नया आदेश जारी किया और छह देशों के लोगों पर बैन का आदेश दिया, जिसे फिर से रोक दिया गया. ट्रंप ने इसे "त्रुटिपूर्ण" फैसला बताते हुए मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की बात कही है.
आरपी/एमजे (एएफपी)