1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ट्रंप की जीत पर क्या बोले पाकिस्तान के अखबार

अशोक कुमार
१० नवम्बर २०१६

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप की जीत पाकिस्तान के उर्दू मीडिया में छाई है. काफी समय से खराब चल रहे दोनों देशों के संबंधों को लेकर पाकिस्तानी प्रेस में कई अटकलें लगाई जा रही हैं.

https://p.dw.com/p/2SSl3
US-Präsidentschaftswahl 2016 - Sieg & Rede Donald Trump
तस्वीर: Reuters/C. Allegri

दक्षिणपंथी अखबार 'नवा ए वक्त' लिखता है कि ट्रंप ने बेशक अपनी चुनावी मुहिम में मुसलमान विरोधी बयान दिए, लेकिन चुनावी मुहिम और सत्ता में आने के बाद अपनाई जाने वाली रणनीति में फर्क होता है. अखबार ने याद दिलाया है कि ओबामा ने राष्ट्रपति बनने से पहले पाकिस्तान के बारे में कितनी अच्छी-अच्छी बातें कहीं थी, लेकिन जब सत्ता मिली, तो पूरी तरह पलट गए. कश्मीर पर भी कुछ नहीं किया और पाकिस्तान से 'डू मोर' की रट लगाते रहे, वो अलग. अखबार लिखता है कि हो सकता है कि ट्रंप चुनावी मुहिम के दौरान बनी अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए पाकिस्तान की अहमियत को समझेंगे.

'रोजनामा पाकिस्तान' लिखता है कि भले ही अमेरिका में सत्ता बदल गई है, लेकिन दक्षिण एशिया को लेकर अमेरिकी नीति में ज्यादा बदलाव होने की संभावना नहीं है. अखबार भारत को अमेरिकी हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार बताते हुए कहता है कि अमेरिका भारत की तरफ झुका हुआ है. अखबार के मुताबिक ट्रंप के दौर में पाकिस्तान पर 'डू मोर' का दबाव रहेगा.

अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद विरोध में सड़कों पर उतरे लोग, देखिए. 

लेकिन 'रोजनामा एक्सप्रेस' लिखता है कि पाकिस्तान आज भी अमेरिका की रणनीतिक जरूरत है, ऐसे में उसे इस बात के लिए कायल किया जा सकता है कि अमेरिका का भारत समर्थक रवैया पाकिस्तान के लिए एक सवालिया निशान है. अखबार ने कहा है कि पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों को बेहतर करने के मामले पर गेंद अब ट्रंप के पाले में है.

वहीं 'रोजनामा दुनिया' लिखता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद ट्रंप के लिए फूलों की सेज साबित नहीं होगा क्योंकि ओबामा उन्हें जो विरासत सौंप कर जा रहे हैं उनमें कई पेचीदा और अनसुलझे सवाल हैं. अखबार के मुताबिक मध्य पूर्व के हालात, अफगानिस्तान में फिर ताकतवर होते तालिबान चरमपंथी, पांव फैलाता इस्लामिक स्टेट, सीरिया का संकट, अरब दुनिया से अमेरिका के बढ़ते हुए फासले और सबसे बढ़ कर चीन की तेजी से बढ़ती हुई आर्थिक ताकत इन पेचीदा सवालों में शामिल हैं.

ट्रंप पर क्या बोली दुनिया, देखिए.

अखबार के मुताबिक देखना ये भी होगा कि अमेरिका में रह रहे विदेशी मूल के लोगों का भविष्य क्या होगा, खासकर वहां रहने वाले मुसलमानों के साथ ट्रंप क्या सलूक करते हैं, क्योंकि वो उनके बारे में कई अशोभनीय बातें कह चुके हैं. वहीं पेशावर से छपने वाला 'मशरिक' लिखता है कि इस वक्त अमेरिका में पाकिस्तान के खिलाफ माहौल बहुत खराब है. ऐसे में, हिलेरी क्लिंटन भी जीतती तो भी दोनों देशों के रिश्तों में तुरंत किसी बेहतरी की उम्मीद नहीं थी. लेकिन अखबार के मुताबिक इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता कि ट्रंप का झुकाव भारत की तरफ रहेगा और उनके दौर में दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे.

अखबार की राय है कि ट्रंप की जीत मुसलमानों समेत कई अन्य समूहों के लिए चिंता की बात है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति की हैसियत से एक ताकतवर और जिम्मेदार पद के तकाजों के मुताबिक ट्रंप को अपने आपको ढालना ही होगा.