ट्रंप का फैसला दुनिया के लिए खतरनाक
९ मई २०१८ईरान के साथ हुई परमाणु संधि के लिए ट्रंप प्रशासन की लंबे समय से चली आ रही नफरत को सबसे अच्छी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व अधिकारी सेबास्टियन गोरका की टिप्पणी बयान करती है. "ईरान डील को सर में गोली मारी जानी चाहिए. ये अमेरिका के लिए खराब है, ये दुनिया के लिए खराब है, ये हमारे दोस्तों के लिए खराब है." मंगलवार को इस डील से अमेरिका के पीछे हटने की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऐसी हिंसक बातें तो नहीं कीं, लेकिन उन्होंने अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता दोहराई कि ईरान डील अमेरिका और दुनिया के लिए बुरी है और वाशिंगटन के दोस्त इस बात पर सहमत हैं.
ईरान डील ने दुनिया को सुरक्षित बनाया
ईरान डील सचमुच परफेक्ट नहीं था, कोई भी समझौता कभी परपेक्ट नहीं होता. लेकिन एक दशक की अंतरराष्ट्रीय सौदेबाजी के बाद जो कुछ तय हुआ था उसने तेहरान के छोटे और मध्यम अवधि के परमाणु कार्यक्रम पर जांच होने लायक रोक जरूर लगाई. ईरान ने अब तक समझौते की शर्तों का पालन किया है और इस तथ्य की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय निगरानी कर्ताओं ने बार बार पुष्टि की है. एक दशक तक ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोक कर रखना, जो इस संधि ने किया, एक बड़ी उपलब्धि है. इसने इलाके को, दुनिया को और अमेरिका को सुरक्षित बनाया.
यह समझौता अमेरिका और यूरोप के बीच अक्सर बहुत ही कठिन लेकिन निकट सहयोग के जरिए हुआ. यूरोप का प्रतिनिधित्व जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने किया. यह भी महत्वपूर्ण है कि चीन, रूस और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसका समर्थन किया. इतना ही नहीं, इस समझौते ने समस्याजनक किरदारों की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर शांतिपूर्ण तरीके से रोक लगाने का ढांचा भी दिया.
विदेश नीति पर घरेलू नीति का जोर
अमेरिका के पश्चिमी सहयोगी की राय डील पर राष्ट्रपति ट्रंप जैसी ही है, ये दावा भी गलत है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने अपने हाल के अमेरिकी दौरों में राष्ट्रपति ट्रंप को समझौते में बने रहने के लिए राजी करने की कोशिश की थी. दरअसल ये यूरोपीय नेताओं के चेहरे पर तमाचे की तरह है जिन्होंने डील का ईमानदारी से समर्थन किया था. इस्राएल में भी कई सैन्य नेताओं ने समझौते को तोड़ने के बदले उसमें बने रहने को प्राथमिकता दी है. लेकिन गलती न करें. अमेरिका को ईरान डील से बाहर निकालने का ट्रंप का फैसला दुनिया को सुरक्षित बनाने वाली किसी वैश्विक नीति या वाशिंगटन और उसके साथियों के हितों को फायदा नहीं पहुंचाएगा.
विशुद्ध रूप से इसका संबंध भावनाओं और घरेलू नीतियों से है. ट्रंप और उनके बहुत सारे सहयोगी पूर्वगामी बराक ओबामा द्वारा लिए गए फैसलों से नफरत करते हैं और उन्होंने उनकी विरासत को खत्म करने को अपना मकसद बना लिया है. ट्रंप के इस फैसले के बाद क्या होगा साफ नहीं है, क्योंकि किसी विश्वसनीय विकल्प को सार्वजनिक नहीं किया गया है. ट्रंप ने एक नया परमाणु संकट पैदा कर दिया है और उत्तर कोरिया के साथ मौजूदा संकट के लिए बाजी बढ़ा दी है. यूरोप और एशिया के सहयोगियों के साथ मतभेदों के बाद इन्हें शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना जुआरी ट्रंप के लिए बड़ा दाव है. दुनिया के लिए स्थिति खतरनाक है.